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विभाजन की विभीषिका को बार-बार याद किया जाना चाहिए- डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी

“गदर” जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा ने कहा कि आज की पीढ़ी विभाजन के दर्द को नहीं जानती।

नई दिल्ली,13 अगस्त। “चाणक्य” जैसे लोकप्रिय टीवी धारावाहिक और “पिंजर” जैसी संवेदनशील फिल्म के निर्देशक डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि विभाजन की विभीषिका को बार-बार इसलिए याद करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा न हो। 1947 के बाद इसकी पहल हर साल होनी चाहिए थी। अभी भी बहुत सारे घाव भरे नहीं हैं। उन्होंने कहा, विभाजन की त्रासदी पर जिस तरह से फिल्में बननी चाहिए थीं, सीरियल बनने चाहिए थे, नाटक बनने चाहिए थे, नहीं बने। हम डरते रहे। इतिहास मानव सभ्यता की तीसरी आंख है। उन्होंने ये बातें केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ओर से केंद्र के सभागार “समवेत” में आयोजित भारत विभाजन विभीषिका पर आधारित फिल्मों की स्क्रीनिंग के दो दिवसीय आयोजन के समापन सत्र में कहीं।
इस अवसर पर “गदर” जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा ने कहा कि आज की पीढ़ी विभाजन के दर्द को नहीं जानती। यह द्वितीय विश्वयुद्ध में हुई हिरोशिमा त्रासदी से भी बड़ी त्रासदी थी। इसलिए इसके बारे में फिल्मों के माध्यम से भी युवा पीढ़ी को बताना चाहिए। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि यह वक्त अपने अंदर झांक कर देखने का है कि जिन्होंने विभाजन की पीड़ा सही, जो विस्थापित होकर आए, हमने उनके साथ क्या किया। हम आज भी उन्हें कई बार रिफ्यूजी, शरणार्थी कह देते हैं। इसीलिए प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस मनाने का आह्वान किया था, ताकि हम उनकी पीड़ा को जान सकें।
कार्यक्रम के अंत में कला केंद्र के मीडिया नियंत्रक श्री अनुराग पुनेठा ने आगंतुकों और अतिथियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि विभाजन पर आधारित फिल्मों की स्क्रीनिंग का यह दो दिवसीय कार्यक्रम काफी उत्साह बढ़ाने वाला रहा। युवाओं ने इसमें सहभागिता की, जिनका विभाजन की वीभिषिका से कोई सीधा सम्बंध नहीं है। उन्होंने अपने बुजुर्गों से विभाजन की कहानियां सुनी होंगी।
समापन कार्यक्रम से पूर्व, दोपहर 12 बजे से विभाजन पर आधारित तीन शॉर्ट फिल्में/डॉक्यूमेंट्री फिल्में- ‘घर’, ‘द अनओन्ड हाउस’, और ‘झूठा सच’ तथा अनिल शर्मा निर्देशित फीचर फिल्म ‘गदर’ दिखाई गई। दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन विभाजन पर आधारित चार शॉर्ट फिल्में/डॉक्यूमेंट्री फिल्में- ‘विभाजन विभीषिका’, ‘असमर्थ’, ‘डेरे तूं दिल्ली’ और ‘फेडेड मेमोरीज’ के साथ डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी निर्देशित फीचर फिल्म ‘पिंजर’ दिखाई गई थी।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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