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WhatsApp ने बदला अपना रंग, iPhone वालों को नए अवतार में दिखेगा ऐप

WhatsApp: अगर आप आईफोन में व्हाटसएप चलाते हैं, तो आपके लिए कंपनी ने अपने ऐप का रंग बदल दिया है. अब आईफोन चलाने वाले यूज़र्स को भी व्हाट्सऐप में एंड्रॉयड यूज़र्स की तरह ग्रीन कलर का लुक दिखाई देगा.

व्हाट्सएप का नया रंग

व्हाट्सएप ने भारत के आईफोन यूज़र्स को ग्रीन कलर वाला अपडेट देना शुरू कर दिया है. व्हाट्सऐप के इस अपडेट से पहले तक आईओएस डिवाइस आईफोन यूज़र्स को व्हाट्सऐप में सबकुछ ब्लू कलर में दिखाई देता था, लेकिन अब यूज़र्स को सबकुछ ग्रीन कलर में दिखाई देगा.

हालांकि, आपको बता दें कि व्हाट्सऐप ने अभी तक आईफोन के सभी यूज़र्स नए ग्रीन कलर वाला अपडेट नहीं दिया है. कंपनी ने इस नए लुक को भारत के आईफोन यूज़र्स के लिए रोलआउट करना शुरू कर दिया है, लेकिन कंपनी इस फीचर को धीरे-धीरे रोलआउट कर रही है और आने वाले कुछ दिनों में सभी यूज़र्स को नया कलर मिल जाएगा.

आईफोन यूज़र्स के लिए हुआ बदलाव

अगर आपके व्हाट्सऐप में अभी तक ग्रीन कलर नहीं दिख रहा है तो आपके एक बार मैनुअली व्हाट्सऐप अपडेट करके चेक कर सकते हैं. अगर उसके बाद भी आपके व्हाट्सऐप प्रोफाइल का रंग नहीं बदलता है, तो इसका मतलब है कि आपको अभी कुछ दिनों का इंतजार करना पड़ेगा.

व्हाट्सऐप ने अपने बयान में इस बदलाव के बारे में बात करते हुए कहा कि, उन्होंने ब्रांड के कलर से मैच करने के लिए आईफोन यूज़र्स के लिए व्हाट्सऐप का रंग बदला है. इसके अलावा व्हाट्सऐप ने कुछ आइकन और बटन्स के लुक, शेप आदि में भी बदलाव किया है. 

मेटा एआई का फीचर

इसके अलावा व्हाट्सऐप में इस हफ्ते बहुत सारे नए फीचर्स शामिल किए गए हैं, लेकिन सबसे खास फीचर मेटा एआई है. मेटा एआई मेटा का एक लार्ज लैंग्वेंज मॉडल चैटबॉट है, जो कंपनी ने व्हाट्सऐप के अंदर ही शामिल किया है. हालांकि यह फीचर भी अभी तक कुछ चुनिंदा यूज़र्स के लिए ही जारी किया गया है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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