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ChatGPT के बाद Microsoft Copilot भी अमेरिकी कांग्रेस में बैन, जानें क्यों?

AI Tools: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई की चर्चाएं पूरी दुनिया में हो रही है, लेकिन इस अमेरिकी कांग्रेस में एआई टूल्स को बैन किया जा रहा है. अमेरिकी कांग्रेस ने पहले अपने सदस्यों को ओपनएआई के चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने से मना किया था और अब माइक्रोसॉफ्ट के एआई टूल कोपायलट का इस्तेमाल करने से भी मना कर दिया है.

माइक्रोसॉफ्ट के एआई टूल को क्यों किया गया बैन?

इसका मतलब है कि अमेरिकी कांग्रेस ने अपने सदस्यों के लिए अमेरिका के इन दो सबसे बड़े और लोकप्रिय एआई टूल्स को बैन कर दिया है. एक्सियोस की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला प्रमुख सुरक्षा चिंताओं के कारण लिया गया है. अमेरिकी कांग्रेस के स्टाफ सदस्य अपने सरकार द्वारा जारी डिवाइस पर कोपायलट का उपयोग नहीं कर पाएंगे. यह निर्देश हाउस के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कैथरीन स्ज़पिंडोर के एक ज्ञापन के माध्यम से आया है.

इस ज्ञापन में अनधिकृत क्लाउड सर्विसेज़ में डेटा लीक के संभावित जोखिम के बारे में चिंताएं व्यक्त की गई हैं. ये चिंताएं साइबर सुरक्षा कार्यालय द्वारा उठाई गईं थी. हालांकि, आपको बता दें कि अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य अपने निजी डिवाइस में माइक्रोसॉफ्ट के इस एआई टूल कोपायलट का इस्तेमाल कर सकते हैं.

माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता ने क्या कहा?

माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता द्वारा रॉयटर्स को दिए गए एक बयान में कहा गया कि, “हम मानते हैं कि सरकारी यूज़र्स को अपने कई खास डेटा के लिए हाई सिक्योरिटी की जरूरत होती है. इस कारण हमने कोपायलट जैसी माइक्रोसॉफ्ट एआई टूल्स के रोडमैप की घोषणा की है, जो संघीय सरकार की सुरक्षा और तमाम जरूरी चीजों को पूरा करते हैं, जिसे हम इस साल के अंत में पेश करने की उम्मीद कर रहे हैं.

हाउस चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव चीफ कैथरीन एल. स्ज़पिंडोर ने ज्ञापन में लिखा है कि कानून निर्माता और कर्मचारी अब अपनी बेहतर प्राइवेसी फीचर्स के कारण ओपनएआई के एआई चैटबॉट के पेड वर्ज़न चैटजीपीटी प्लस का ही उपयोग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऑफिसर्स प्राइवेसी सेटिंग्स एक्टिवेट होने पर सिर्फ “अनुसंधान और मूल्यांकन” के लिए चैटजीपी प्लस का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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