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‘कितने रीमेक बनाने पड़ेंगे’, बेटी आलिया की शादी को लेकर अनुराग कश्यप को सताई पैसों की चिंता!

Anurag Kashyap On Aaliyah Kashyap Engagement: फिल्ममेकर अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) की बेटी आलिया कश्यप (Aaliyah Kashyap) ने 20 मई को बॉयफ्रेंड Shane Gregoire के साथ सगाई कर ली है. आलिया ने खुद ये खुशखबरी सोशल मीडिया पर शेन के साथ फोटोज़ पोस्ट करते हुए फैंस को दी है. इस बीच अनुराग कश्यप ने एक पोस्ट शेयर करते हुए बेटी आलिया की टांग खींची है और ये भी कहा कि उन्हें अब अपनी बेटी की शादी में पैसे खर्च करने के लिए कई सारी फिल्मों के रीमेक बनाने पड़ेंगे.

अनुराग कश्यप ने इंस्टाग्राम हैंडल पर अपनी एक फोटो शेयर की है, जिसमें वह अपने दोस्तों के साथ नजर आ रहे हैं. ब्लैक ब्लेजर, ब्लैक शर्ट और मैचिंग पैंट पहने हुए काउच पर बैठकर अनुराग अपना मोबाइल चलाते हुए दिख रहे हैं.


अनुराग ने बेटी की शादी को लेकर किया मजेदार पोस्ट

अपनी इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए अनुराग कश्यप ने कैप्शन में लिखा, ‘@cinemakasam ये बोलते-बोलते परेशान हो गया है कि यहां तो फोन छोड़ दो. मैं यहां हिसाब लगा रहा हूं कि बेटी की शादी में पैसे खर्च करने के लिए मुझे कितने रीमेक बनाने पड़ेंगे क्योंकि मेरी लाडली आलिया कश्यप और उनके बॉयफ्रेंड शेन ने कान्स फेस्टिवल के दौरान अपनी सगाई की अनाउंसमेंट से चौंका दिया है.’


आलिया इस तरह की अपनी सगाई की अनाउंसमेंट

आलिया कश्यप ने बॉयफ्रेंड शेन के साथ सगाई के बाद कुछ फोटोज़ पोस्ट की हैं, जो इंटरनेट पर छाई हुई हैं. पहली तस्वीर में आलिया ने अपनी इंगेजमेंट रिंग को फ्लॉन्ट किया है, तो दूसरी तस्वीर में वह शेन के साथ लिप लॉक करती हुई नजर आ रही हैं.

इन फोटोज को पोस्ट करते हुए आलिया (Aaliyah Kashya) ने कैप्शन में लिखा, ‘मेरे सबसे अच्छे दोस्त, मेरे साथी, मेरे सोलमेट और अब मेरे मंगेतर. तुम मेरी लाइफ का एकमात्र प्यार हो. थैंक्यू ये दिखाने के लिए बिना शर्त प्यार कैसा होता है. अब मैं अपनी बाकी की सारी लाइफ आपके साथ बिताने के लिए इंतजार नहीं कर सकती, माय लव.’

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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