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जब मां के सामने अक्षय कुमार ने की थी मनीष पॉल की बेइज्जती, एक्टर बोले – ‘वो बहुत शर्मनाक था’

Maniesh Paul Akshay Kumar Fight:  टीवी पर अपनी जबरदस्त हॉस्टिंग के जरिए लोगों का दिल जीतने वाले मनीष पॉल (Maniesh Paul) अब ओटीटी पर अपनी एक्टिंग का जलवा बिखरे रहे हैं. हाल ही में एक्टर वेब सीरीज ‘रफूचक्कर’ में नजर आए हैं. जिसमें उनके काम की काफी तारीफ हो रही है. इसी बीच एक्टर ने अपने हालिया इंटरव्यू में अक्षय कुमार (Akshay Kumar) से जुड़े एक हैरान कर देने वाले सच का खुलासा किया है. एक्टर ने कहा कि वो सरेआम मेरी मां के सामने मुझपर चिल्लाए थे. जानिए क्या है पूरा मामला

अक्षय कुमार ने मां के सामने की थी मनीष की बेइज्जती

दरअसल हाल ही में ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए एक इंटरव्यू में मनीष ने बताया कि, “ जब मैं शुरुआत में अवॉर्ड शोज होस्ट करता तो एक बार मेरे साथ स्टेज पर अक्षय कुमार आए थे. उस दौरान मैंने उनसे एक सवाल किया था तो उन्होंने उसका जवाब तो नहीं दिया लेकिन मेरे ऊपर वो बहुत जोर से चिल्ला उठे और मुझे चुप रहने के लिए कहा. तब मुझे वो बहुत बुरा और शर्मनाक लगा था क्योंकि उस दिन पहली बार मेरी मां मेरा काम देखने के लिए आई थी और स्टेज पर मेरी बेइज्जती हो गई. ”

मनीष ने किया सीट तक अक्षय कुमार का पीछा

मनीष पॉल ने आगे कहा कि, तब मैं ये समझ चुका था कि ये बात या तो करियर खत्म कर सकता है या फिर एक नई शुरुआत, इसलिए मैंने भी फ्लो के साथ बहना शुरू कर दिया. लेकिन मैंने अक्षय का पीछा नहीं छोड़ा और उनकी सीट तक उनके पीछे गया. हां उस दौरान बात थोड़ी अलग लेवल पर चली गई थी लेकिन फिर अक्षय जी ने ये क्लियर किया कि वो सिर्फ मजाक कर रहे थे.”

बता दें मनीष पॉल की वेब सीरीज ‘रफूचक्कर’ इस वक्त ओटीटी पर धमाल मचा रही है. जिसे एक्टर के फैंस खूब पसंद भी कर रहे हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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