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WhatsApp अब स्मार्टवॉच पर भी, बिना फोन मैसेज रिप्लाई कर सकेंगे, ये सुविधाएं भी मौजूद

व्हाट्सऐप (WhatsApp) अब गूगल वीयर ओएस (Google Wear OS) स्मार्टवॉच पर उपलब्ध है. मेटा ने पहली बार Google I/O कॉन्फ्रेंस में इसकी चर्चा की थी. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, मेटा के सीईओ और को-फाउंडर जुकरबर्ग ने अनाउंसमेंट किया है कि पहला व्हाट्सएप स्मार्टवॉच ऐप अब बुधवार से वेयर ओएस पर उपलब्ध है. यूजर्स अब Wear OS पर नई बातचीत शुरू कर सकते हैं, मैसेज का रिप्लाई दे सकते हैं और अपनी कलाई से कॉल ले सकते हैं.

कनेक्टे़ड रहने के लिए फोन की जरूरत नहीं 

खबर के मुताबिक, वियर ओएस 3 (Wear OS 3) चलाने वाली घड़ियों पर उपलब्ध, यूजर्स को अब कनेक्टे़ड रहने के लिए अपने फोन की जरूरत नहीं होगी, और वे अपनी वॉयस, इमोजी, इंस्टैंट उत्तर या टेक्स्ट का इस्तेमाल करके दोस्तों और परिवार को जवाब दे सकते हैं. कंपनी ने कहा कि हम भविष्य में व्हाट्सएप (WhatsApp)को और भी ज्यादा डिवाइसों में लाने की उम्मीद करते हैं.

स्मार्टफोन के बिना भी मैसेज का जवाब दे सकेंगे

यूजर्स वॉयस मैसेज, इमोजी, रेगुलर टेक्स्ट और इंस्टैंट रिप्लाई के साथ भी प्रतिक्रिया दे सकेंगे. अगर उनके पास एलटीई-कैपेबल वियर ओएस 3 (Wear OS 3) घड़ी है, तो वे पास में स्मार्टफोन के बिना भी मैसेज का जवाब देने में सक्षम होंगे. वेयर ओएस (Google Wear OS)ऐप जारी करने से अब अगले सप्ताह सैमसंग ‘गैलेक्सी अनपैक्ड’ इवेंट के लिए मोमेंटम बनने लगा है. वेयर ओएस को अरबों व्हाट्सएप (WhatsApp) एक्टिव यूजर्स के लिए ज्यादा आकर्षक बनाया जा रहा है.

2 बिलियन से ज्यादा हैं व्हाट्सऐप यूजर्स

व्हाट्सऐप (WhatsApp) ने हाल के दिनों में कई नए फीचर्स को शामिल किया है. यह दुनियाभर में एक बेहद पॉपुलर इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप है. धरती पर 2 बिलियन से ज्यादा लोग इसका का इस्तेमाल करते हैं. व्हाट्सऐप फिलहाल यूजरनेम, वीडियो कॉल की लिमिट को बढ़ाना, चैनल्स, इमोजी और कीबॉर्ड रीडिजाइन पर काम कर रही है. आने वाले दिनों में ऑफिशियल व्हाट्सऐप चैट के तहत कंपनी यूजर्स को ऐप के नए अपडेट और टिप्स एंड ट्रिक्स के बारे में भी जानकारी देने वाली है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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