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जब चींटियों ने नोंच डाला था मीना कुमारी का बदन, सांसों के इनकार तक चला संघर्ष का सिलसिला

Meena Kumari Unknown Facts: उन्होंने महज छह साल की उम्र में अपना पूरा परिवार पाला. जब बच्चे प्ले ग्राउंड में अपने खेल दिखाते हैं, तब वह सिनेमा के मैदान में अपनी अदाकारी के जलवे बिखेरने लगी थीं. उम्र का आंकड़ा 13वें पायदान पर पहुंचा तो फिल्मी दुनिया ने उन्हें दिग्गज अभिनेत्रियों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया. उनकी जिंदगी ने इस कदर रफ्तार पकड़ी कि आखिरी पायदान तो महज 38वें बसंत पर ही आ गया. बात किसी और की नहीं, बल्कि ट्रेजेडी क्वीन यानी मीना कुमारी की हो रही है. अब सवाल उठता है कि मीना कुमारी आखिर ट्रेजेडी क्वीन क्यों कहलाईं? दरअसल, उन्हें अपने किरदारों की वजह से यह नाम नहीं मिला, बल्कि जिंदगी के उतार-चढ़ाव ने उन्हें जमाने के लिए ट्रेजेडी क्वीन बना दिया. आपको जानकर हैरानी होगी कि मीना कुमारी वह बच्ची थीं, जिनका बदन बचपन में चींटियों ने नोंच डाला था. उनका यह संघर्ष सांसों के इनकार तक जारी रहा. आज हम आपको ट्रेजेडी क्वीन के ताउम्र चले संघर्ष से रूबरू करा रहे हैं. 

बचपन में चींटियों ने नोंच डाला था बदन

मीना कुमारी की जिंदगी में ट्रेजेडी की शुरुआत तो उनके जन्म के साथ ही शुरू हो गई थी. हुआ यूं था कि जैसे ही मीना का जन्म हुआ, उन्हें अनाथालय में छोड़ दिया गया था, क्योंकि उनके पैरेंट्स के पास डॉक्टर की फीस चुकाने के लिए पैसे नहीं थे. जब उनके पिता अपनी बेटी को लेने अनाथालय पहुंचे तो उस नन्ही-सी जान के शरीर पर चींटियां रेंग रही थीं. मीना को बचपन से पढ़ने-लिखने का शौक था, लेकिन मजबूरी ने उन्हें पैसा कमाने के लिए रंगीन पर्दे पर पेश कर दिया. बस दुनियादारी ने मीना को ऐसा सबक सिखाया कि वह संजीदा शायर बन गईं.

इश्क ने भी ले लिया इम्तिहान

बड़े पर्दे पर इश्क की कहानियों को बयां करते-करते मीना कुमारी को भी मोहब्बत हो गई थी. उन्होंने डायरेक्टर कमाल अमरोही से इश्क फरमाया था, जिसकी दास्तां मुसम्मी के जूस से शुरू हुई थी. 1949 में जब दोनों की पहली मुलाकात हुई, उस वक्त कमाल अमरोही शादीशुदा थे. हुआ यूं था कि एक दफा मीना अस्पताल में भर्ती थीं. उन्हें देखने के लिए कमाल अमरोही अस्पताल पहुंचे और कुछ खा-पी नहीं रहीं मीना को जबरन मुसम्मी का जूस पिला दिया. बस उसके बाद मीना और कमल की मुलाकातों का दौर शुरू हो गया, जो निकाह पर मुकम्मल हुआ. 

एक पर्स ने तोड़ दिया प्यार का करार

बता दें कि शादी के चंद साल बाद ही मीना और कमाल के बीच तल्खियां बढ़ती चली गईं और उनका तलाक हो गया. कहा जाता है कि एक पर्स की वजह से दोनों के रिश्ते में दरार आ गई थी. हुआ यूं कि वर्ष 1955 के दौरान फिल्म ‘परिणीता’ के लिए मीना कुमारी को फिल्मफेयर अवॉर्ड मिलना था. कमाल अमरोही और मीना कुमारी एक साथ दर्शक दीर्घा में बैठे थे. मीना कुमारी अवॉर्ड लेने गईं तो अपना पर्स कुर्सी पर ही भूल गईं. स्टेज से उतरकर वह घर चली गईं. अभिनेत्री निम्मी ने पर्स मीना को दे दिया तो उन्होंने कमाल से पूछा कि क्या आपको मेरा पर्स नजर नहीं आया? कमाल का जवाब था कि पर्स देखा था, लेकिन उठाया नहीं. अगर मैं आज तुम्हारा पर्स उठाता तो कल जूते पड़ेंगे. बस इस बात ने प्यार का करार ही तोड़ दिया. 

आखिरी सांस तक चलता रहा संघर्ष

कमाल से रिश्ता टूटने के बाद मीना भी टूट गई थीं. वह फिल्में तो करती रहीं, लेकिन उनकी जिंदगी में वह रौनक कभी नहीं लौटी, जिसके ख्वाब मीना ने हमेशा देखे थे. कमाल से बिछड़ने के बाद मीना ने खुद को कविता और गजलों के बंधन में बांध लिया. साथ ही, खुद को शराब में डुबो लिया. जब 1964 में कमाल ने मीना को तलाक दिया था, तब उन्होंने लिखा था, ‘तलाक तो दे रहे हो नजर-ए-कहर के साथ, जवानी भी लौटा दो मेरे मेहर के साथ…’ मीना ने फिल्मी पर्दे पर तो हमेशा हैप्पी एंडिंग देखी, लेकिन असल जिंदगी में उन्हें सुखांत नसीब नहीं हुआ. उनकी जिंदगी में ट्रेजेडी का सिलसिला उनकी सांसों के इनकार के साथ ही खत्म हुआ. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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