टैकनोलजी

iPhone और Mac को रिपेयर करवाने में अब नहीं होगी सिरदर्दी, कंपनी दुकानदारों को देगी हर पार्ट 

दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी, एप्पल ने बीते दिन ये कहा कि वह US के राइट टू रिपेयर बिल का समर्थन करेगी और iPhone और Mac समेत दूसरे प्रोडक्ट्स के पार्ट्स बनाएगी ताकि इन्हें दुनियाभर के दुकानदारों को उपलब्ध कराया जा सके. दरअसल, लम्बे समय से ग्राहक ये शिकायत कर रहे थे कि कंपनी के प्रोडक्ट्स को रिपेयर करवाना आसान नहीं है, साथ ही इसमें ज्यादा पैसा भी खर्च होता है. इसी को देखते हुए कंपनी ने ये घोषणा की है. साथ ही ये घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और जंक फीस और यूजर्स के लिए कीमतें बढ़ाने वाली अन्य कार्रवाइयों पर नकेल कसने के व्यापक प्रयास का हिस्सा भी है.

संघीय व्यापार आयोग की अध्यक्ष लीना खान ने कहा कि पूरे इंडस्ट्री में प्रतिबंधात्मक प्रथाओं की वजह से ग्राहकों के लिए कॉस्ट बढ़ जाती है, साथ ही छोटे दुकानदारों के लिए इससे व्यवसाय के अवसर भी खत्म हो जाते हैं. अमेरिका में कैलिफ़ोर्निया, कोलोराडो, न्यूयॉर्क और मिनेसोटा पहले ही मरम्मत का अधिकार कानून पारित कर चुके हैं और 30 अन्य राज्यों ने भी इसी तरह का कानून पेश किया है.

आसानी और सस्ते में रिपेयर हो जाएंगे पार्ट्स 

वर्तमान में एप्पल के प्रोडक्ट्स अगर ख़राब होते हैं तो ज्यादातर लोग एप्पल के आधिकारिक सर्विस सेंटर पर जाते हैं. पार्ट्स की उपलब्धता छोटे-छोटे दुकानों पर नहीं है. इससे ग्राहकों को ज्यादा कीमत तो अदा करनी पड़ती ही है, साथ ही उनका समय भी ख़राब होता है. अमेरिका के राइट-टू-रिपेयर बिल से कंपनी सभी पार्ट्स को दुनियाभर के छोटे-छोटे दुकानदारों की उपलब्ध कराएगी जिससे ग्राहकों को परेशानी न आए. बता दें, US में Apple ने 2019 में कुछ स्वतंत्र मरम्मत दुकानों को पार्ट्स और मैनुअल वितरित करना शुरू किया. इस साल अगस्त में पहली बार Apple अपने गृह राज्य कैलिफोर्निया में मरम्मत के अधिकार कानून के समर्थन में सामने आई थी.  

यह भी पढ़ें:

त्यौहारी सीजन में गूगल से बुक करें सस्ती फ्लाइट, पैसे की बचत के साथ मिलेंगे दूसरे ऑफर्स

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button