टैकनोलजी

अब अगर बेची और खरीदी गई फर्जी सिम तो लाखों का लगेगा जुर्माना, झटपट जान लीजिए नए नियम

बीते बुधवार को लोकसभा में टेलीकॉम बिल 2023 पास होने के बाद गुरुवार को राज्यसभा से भी पास हो गया है और अब सिम कार्ड बेचने और खरीदने के लिए नए नियम लागू हो गए हैं. इस बिल को आम लोगों की सेफ्टी को ध्यान में रखकर बनाया गया है. अगर कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करता है तो उसपर लाखों का फाइन और कई साल की सजा का प्रावधान है. डिटेल में जानिए नए बिल में आपके लिए इम्पोर्टेन्ट बातें क्या-क्या हैं.

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि नया बिल 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम को रिप्लेस करेगा. नए बिल के तहत यदि कोई व्यक्ति गलत तरीके से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है (टेलीकॉम गैजेट्स के जरिए जैसे मोबाइल, सिमकार्ड, WiFi आदि) या इस तरह के कार्य में लिप्त पाया जाता है तो उसे 3 साल की सजा या 2 करोड़ का फाइन भरना होगा. साथ ही ये दोनों सजा भी दी जा सकती हैं. यदि टेलीकॉम ऑपरेटर को कोई नुकसान होता है तो 50 लाख का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. साथ ही सरकारी अधिकारी और सरकार के पास ये अधिकार होगा वे सम्बंधित व्यक्ति का कनेक्शन को टैप और जरूरत पड़ने पर हमेशा के लिए रद्द भी कर सकते हैं.

फर्जी सिम लेने पर इतने का जुर्माना 

अगर कोई व्यक्ति फेक आईडी से सिमकार्ड लेता है तो उसे 3 साल की सजा और 50 हजार का फाइन भरना पड़ सकता है. या ये दोनों सजा भी मिल सकती है. सिम कार्ड बेचने वाले दुकानदारों के लिए वेरिफिकेशन जरुरी है. इसके बिना वे अब कोई भी सिम नहीं बेच पाएंगे. साथ ही ग्राहकों का भी बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन अब मेंडेटरी है.

सिम क्लोन करना भी क्राइम 

अगर कोई व्यक्ति किसी सिम को गलत तरीके से क्लोन करता है, यानि उसी सिम को अपने नाम पर इशू करता है तो ये भी एक क्राइम में गिना जाएगा. नए बिल के तहत अब आपको प्रोमोशनल मैसेज भेजने से पहले कंपनियों को आपकी परमिशन लेनी होगी. यदि बिना परमिशन के आपको कॉल की जाती हैं तो 2 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है.

जनहित में भेजा जा सकता है मैसेज 

नए नियम के तहत अगर कोई मैसेज जनहित में है तो इस तरह के सन्देश टेलीकॉम कंपनियां बिना किसी परमिशन के भेज सकती हैं. जैसे कोई सरकारी हेल्थ स्कीम से जुड़ा मैसेज या आपातकालीन समय में आदि. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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