टैकनोलजी

सेहत से जुड़े अहम सवालों के जवाब देगा गूगल का नया AI मॉडल, चैट जीपीटी और बार्ड से भी होगा तेज

Google’s Med-PaLM 2: AI हर क्षेत्र में अहम योदगान निभाने वाला है. हेल्थ में इसको लेकर कई तरह की रिसर्च की जा रही है. इस बीच ये खबर सामने आ रही है कि गूगल एक नए AI मॉडल की टेस्टिंग कर रहा है जो लोगों को सेहत से जुड़े अहम सवालों का जवाब देगा. ये AI टूल चैट जीपीटी और बार्ड से भी फास्ट होगा और एकदम सटीक डेटा प्रदान करेगा. The Verge के मुताबिक, गूगल Med-PaLM 2 AI पर काम कर रहा है जो PaLM 2 का ही एक वेरिएंट है. इस AI टूल की टेस्टिंग US के एक नॉन प्रॉफिट आर्गेनाईजेशन Mayo Clinic में चल रही है.

इन जगहों के लिए फायदेमंद होगा AI टूल 

टेक जॉइंट गूगल का मानना है कि नया AI टूल उन जगहों में फायदेमंद होगा जहां डॉक्टर की पहुंच नहीं है या कम है. साथ ही कंपनी ने बताया कि मेड-पीएएलएम 2 बार्ड, बिंग और चैटजीपीटी जैसे नार्मल चैटबॉट्स की तुलना में स्वास्थ्य संबंधी बातचीत में बेहतर होगा क्योंकि इसे चिकित्सा प्रदर्शनों के एक क्यूरेटेड सेट पर ट्रेन किया जाएगा. यानि स्पेशली हेल्थ डेटा पर फोकस किया जाएगा. इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि मेड-पीएएलएम 2 का परीक्षण करने वाले ग्राहक अपने डेटा को नियंत्रित कर पाएंगे और ये पूर्ण रूप से एन्क्रिप्टेड होगा और Google के पास इसकी पहुंच नहीं होगी.

इस बीच, गूगल ने हाल ही में अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट किया है. इसमें कहा गया है कि कंपनी अपने AI टूल की क्षमता को बढाने के लिए  सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा का उपयोग कर सकती है. यानि कंपनी हमारा डेटा AI टूल को और बेहतर बनाने के लिए यूज करेगी. साथ ही कंपनी ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी की भाषा भी बदल दी है और इसे AI मॉडल की जगह भाषा मॉडल कर दिया है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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