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‘उसने कहा साड़ी से पिन निकालो…’, सालों बाद हेमा मालिनी ने खोला फिल्ममेकर का काला राज

Hema Malini Reveals Film Maker Truth: हिंदी सिनेमा की ड्रीम गर्ल यानि हेमा मालिनी (Hema Malini) भले ही इन दिनों फिल्मों से दूर राजनीति में सक्रिय हो, लेकिन उनकी फैन फॉलोइंग में कोई कमी नहीं आ है. आज भी उनकी अदाओं पर लाखों लोग जान छिड़कते हैं. इस वक्त हेमा मालिनी अपने लेटेस्ट इंटरव्यू को लेकर चर्चा में हैं. जिसमें उन्होंने एक फिल्ममेकर के काले सच का पर्दाफाश किया है.

हेमा मालिनी ने किया फिल्ममेकर को लेकर खुलासा

हेमा मालिनी ने इस इंटरव्यू में अपने पुराने दिनों को याद किया और फिल्ममेकर का नाम लिए बिना बताया कि, एक बार मैं एक फिल्म की शूटिंग कर रही थी. तो फिल्ममेकर मेरी साड़ी के पल्लू पर लगी हुई पिन को हटवाना चाहते थे. ताकि साड़ी का पल्लू नीचे गिर जाएगा. जब मैंने उन्हें कहा कि पीन हटाने से पल्लू नीचे गिरेगा तो उन्होंने बोला कि यही तो हम चाहते हैं…’


हेमा को ऑफर हुई थी सत्यम शिवम सुन्दर

इस इंटरव्यू में हेमा मालिनी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘सत्यम शिवम सुन्दरम’ को लेकर भी एक हैरान कर देने वाला खुलासा किया. उन्होंने कहा कि जीनत अमान से पहले ये फिल्म उन्हें ऑफर की गई थी. इसके लिए राज कपूर उनके पास आए और बोले कि मैं जानता हूं कि तुम ये फिल्म नहीं करोगी, लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम ये करो. लेकिन तब मेरे साथ मेरी मां भी थी और फिल्म का कहानी जानने के बाद में मैंने इसके लिए मना कर दिया.

100 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकी हैं हेमा

बता दें कि हेमा मालिनी ने अपने करियर की शुरुआत साल 1960 में की थी. करीब पांच दशक के लंबे करियर में एक्ट्रेस ने 100 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है. फिर बड़े पर्दे पर शोहरत पाने के बाद साल 2004 में हेमा भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई. अब वो मथुरा से लोकसभा सदस्य के रूप में कार्यरत हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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