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‘बवाल’ में कास्ट के लिए मेकर्स के पीछे पड़ गई थीं जाह्नवी कपूर, बड़ी मशक्कत के बाद हाथ आई फिल्म

Janhvi Kapoor Got Bawaal By Request: जाह्नवी कपूर और वरुण धवन की फिल्म ‘बवाल’ का ट्रेलर जारी हो चुका है और अब दर्शकों को फिल्म की रिलीज का इंतजार हैं. फिल्म की रिलीज से पहले एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर ने बड़ा खुलासा किया है. एक्ट्रेस ने फिल्म को हासिल करने की अपनी मशक्कत बयां की है. दुबई में फिल्म के ट्रेलर लॉन्च के दौरान एक्ट्रेस ने खुलासा किया कि उन्हें ये फिल्म काफी मुश्किल से मिली.

जाह्नवी ने ‘बवाल’ के लिए मेकर्स का किया था पीछा
जाह्नवी ने बताया कि उन्होंने ‘बवाल’ के लिए मेकर्स का पीछा किया और जब आखिरकार उन्हें ये प्रोजेक्ट मिल गया तो उन्हें इस बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. उन्होंने कहा, ‘मैं हर दिन खुद को चिकोटी काट रही थी क्योंकि यह मेरे लिए सभी के साथ काम करने का इतना बड़ा मौका था… मैंने उन्हें फिल्म में मुझे लेने के लिए मनाने की बहुत कोशिश की… मैंने उनका पीछा किया और मैंने नितेश सर और साजिद सर का काफी पीछा किया…’


साजिद नाडियाडवाला के ऑफिस में घुस गई थीं एक्ट्रेस
वहीं इस बारे में बात करते हुए साजिद नाडियाडवाला ने बताया कि किस तरह वे हैरान हो गए ये देखकर कि जाह्नवी ने कितना स्ट्रगल किया था. एक दिन वह उनके ऑफिस में भी घुस आई. साजिद ने कहा, ‘मेरा इनबॉक्स वैसे भी उसके मैसेजों से भरा हुआ था जिसमें लिखा था, प्लीज मेरा ऑडिशन लें.’ लेकिन बाद में वह सिर्फ नितेश सर के साथ रही..’ एक बार जब उसे फिल्म मिल गई और वह उससे मिली तो वह फिर कभी मेरे केबिन में नहीं आई. लेकिन जिस तरह से उन्होंने फिल्म के लिए स्ट्रगल किया वह शानदार था.

साजिद ने की जाह्नवी-वरुण की तारीफ
साजिद ने आगे जाह्नवी और वरुण की तारीफ करते हुए कहा कि उनके लिए ऐसे स्टार्स के साथ काम करना किसी सपने से कम नहीं था क्योंकि वे स्ट्रगल करते हैं. उन्हें उन पर गर्व है क्योंकि जिस तरह से उन्होंने उस मौसम में शूटिंग की, किसी तरह की कोई कैंसिलेशन नहीं हुई. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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