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गूगल चैट का इस्तेमाल करने वालों के लिए अच्छी खबर, जल्द शुरू होगा स्मार्ट कंपोज फीचर; जानें कैसे

Google Chat New Feature: अगर आप भी गूगल चैट का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए ये खबर काम की हो सकती है. गूगल वर्कप्लेस कस्टमर्स के लिए ये स्मार्ट कंपोज फीचर कई टाइपिंग वर्क को आसान बनाने जा रही है. इसे गूगल ने सभी यूजर्स के लिए रोलआउट करना शुरू कर दिया है और इसे शेड्यूल्ड रिलीज डोमेन के लिए 26 जून से शुरू कर दिया जाएगा.

क्या करने जा रहा है गूगल अपनी चैट में नया

गूगल वेब पर अपनी कम्युनिकेशन सर्विस ‘गूगल चैट’ में एक स्मार्ट कंपोज फीचर शुरू कर रहा है. गूगल ने वर्कस्पेस अपडेट्स ब्लॉगपोस्ट में सोमवार को कहा, यह मशीन-लर्निग पावर्ड फीचर आपके टाइप करते ही प्रासंगिक वाक्यांशों का सुझाव देता है, दोहराए जाने वाले राइटिंग पर कटौती कर आपका समय बचाता है और स्पेलिंग और व्याकरण संबंधी गलतियों को भी कम करता है.

स्मार्ट कंपोज फीचर कई भाषाओं में मिलेगा

स्मार्ट कंपोज फीचर अंग्रेजी, स्पेनिश, पुर्तगाली, फ्रेंच और इतालवी में उपलब्ध है. यह फीचर यूजर्स के लिए मददगार है क्योंकि यह समय और प्रयास की बचत करते हुए मैसेज को तेजी से और आसानी से तैयार करता है. इसके अलावा, इसमें एडमिन कंट्रोल नहीं है, और यह डिफॉल्ट रूप से ऑन रहेगा.

इस साल मार्च में, कंपनी ने घोषणा की थी कि वह गूगल चैट में स्पेस मैनेजर के लिए नए फीचर्स शुरू कर रहे हैं, जिसमें मेंबर स्पेस में मेंबर्स या ग्रुप को ऐड या रिमूव कर सकते हैं.

गूगल बार्ड भी हो चुका है लाइव 

इन अपडेट्स के अलावा एक और खबर आपके काम की है कि गूगल ने अपना AI चैटबॉट Bard सभी के लिए रोलआउट कर दिया है. बार्ड को एक्सेस करने के लिए आपको कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा. वेबसाइट पर जाकर आपको ‘ट्राई बार्ड’ के ऑप्शन पर क्लिक करना है और T&C को पढ़कर अपना काम शुरू करना है. चैट जीपीटी की तरह ही ये मॉडल भी काम करता है. सर्च बॉक्स में अपनी क्वेरी लिखकर आप कुछ भी सर्च कर सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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