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‘लियो’ की रिकॉर्ड तोड़ कमाई के बीच क्या होगा ‘गणपत’ का हाल? जानें पहले दिन का प्रीडिक्शन

Ganapath Box Office Collection Day 1: टाइगर श्रॉफ की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘गणपत’ 20 अक्टूबर को रिलीज के लिए तैयार है. फिल्म को रिलीज होने में अब बस कुछ घंटे बाकी है. रिलीज से पहले टाइगर ने अपनी फिल्म का जोरो-शोरो से प्रमोशन किया है. वहीं ‘गणपत’ की रिलीज से पहले विजय थलापति की ‘लियो’ और घोस्ट 19 अक्टूबर को थिएटर्स में रिलीज हो चुकी है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या ‘लियो’ जैसी बड़ी फिल्म के आगे टाइगर की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपना दबदबा बना पाएगी?

‘गणपत’ का दर्शकों को लंबे समय से इंतजार है. जूम को दिए एक इंटरव्यू में फिल्म बिजनेस एक्सपर्ट और प्रोड्यूसर गिरीश जौहर ने कहा, ‘गणपत’ अपनी रिलीज के पहले दिन 5-7 करोड़ रुपए कमा सकती है. यह एक महंगी फिल्म है और इसमें टाइगर श्रॉफ, अमिताभ बच्चन और कृति सैनन जैसे स्टार्स हैं, जिनकी बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है.अगर इसकी शुरुआत अच्छी होती है, तो यह आने वाले वीकेंड तक आगे बढ़ सकती है.


‘लियो’ के आगे टिकेगी ‘गणपत’?
19 अक्टूबर को ही साउथ सुपरस्टार विजय थलापति के मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘लियो’ रिलीज हुई है. फिल्म के पहले दिन ही घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 68 करोड़ रुपए तक का कलेक्शन करने की उम्मीद है. वहीं ‘लियो’ की रिलीज के ठीक एक दिन बाद ‘गणपत’ थिएटर्स में रिलीज होगी. ऐसे में दोनों फिल्मों के बीच टफ कंपीटिशन दिखाई दे सकता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि बॉक्स ऑफिस पर दहाड़ मार रही ‘लियो’ के सामने टिक पाना टाइगर की फिल्म के लिए कड़ी चुनौता हो सकती है.

200 करोड़ के बजट में बनी फिल्म!
बता दें कि टाइगर श्रॉफ की ‘गणपत’ विकास बहल डायरेक्शन में बनी फिल्म है, जिसमें कृति सेनन, अमिताभ बच्चन, एली अवराम, रहमान, जमील खान, गिरीश कुलकर्णी, श्रुति मेनन, ज़ियाद बकरी और रॉब हॉरोक्स भी नजर आएंगे. खास बात यह है कि फिल्म की शूटिंग में करीब 100 दिन लगे हैं. 200 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म में 3,000 से ज्यादा VFX शॉट्स हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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