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जब मांग में सिंदूर भर सुर्खियों में आ गई थीं गीता कपूर, फिर इस खुलासे से कर दिया था हैरान

Geeta Kapoor Unknown Facts: 5 जुलाई 1973 के दिन मुंबई में जन्मी गीता कपूर आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. फिल्म इंडस्ट्री में गीता मां के नाम से मशहूर गीता कपूर एक जमाने में बैकग्राउंड डांसर थी, लेकिन अब इंडस्ट्री का बड़ा नाम बन चुकी हैं. यह आलम तब है, जब गीता ने बचपन से ही डांसर बनने का सपना देखा तक नहीं था. दरअसल, वह तो एयर होस्टेस बनना चाहती थीं, लेकिन कमजोर आईसेट की वजह से वह तीन बार रिजेक्ट कर दी गईं. इसके बाद उन्होंने डांस की राह चुनी. 

मजबूरी में बनीं कोरियोग्राफर

कहा जाता है कि एयर होस्टेस नहीं बन पाने के बाद गीता बैकग्राउंड डांसर तो बन गई थीं, लेकिन कोरियोग्राफर बनने का सफर उन्होंने मजबूरी में तय किया. हुआ यूं था कि उनके पिता बीमार हो गए थे. ऐसे में मां की जिम्मेदारियों को बांटने के लिए वह कोरियोग्राफर बनीं, लेकिन फ्लॉप हो गईं. इसके बाद उन्होंने फराह खान का दरवाजा खटखटाया और उनके ग्रुप में शामिल हो गईं. फराह खान से डांसिंग के दांव-पेंच सीखने के बाद गीता ने कोरियोग्राफी में दोबारा हाथ आजमाया और सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं. 

ऐसा रहा गीता का करियर

गीता जब फराह खान के साथ जुड़ीं, उस वक्त उनकी उम्र महज 15 साल थी. सबसे पहले वह ‘तुझे याद न मेरी आई’, और ‘गोरी गोरी’ आदि गानों में बतौर बैकग्राउंड डांसर नजर आईं. इसके बाद उन्होंने फराह खान को मोहब्बतें, कल हो ना हो, कभी खुशी कभी गम, मैं हूं ना और ओम शांति ओम आदि फिल्मों में असिस्ट किया. वहीं, फिजा, साथिया, हे बेबी और तीस मार खां के फेमस गाने शीला की जवानी जैसे गानों को कोरियोग्राफ करके अपना नाम शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया.

गीता कपूर की जिंदगी में कौन?

दुनिया को अपने इशारों पर नचाने वाली गीता कपूर ने आज तक अपनी लव लाइफ का खुलासा नहीं किया है. उनका नाम कई बार एक्टर और मॉडल राजीव के साथ जुड़ा, लेकिन उन्होंने इसे महज अफवाह करार दिया. हालांकि, गीता कपूर अपने फैंस को कई बार चौंका भी चुकी हैं. दरअसल, वह कई बार मांग में सिंदूर भरकर नजर आ चुकी हैं. इसके अलावा सिंदूर लगी उनकी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल भी हो चुकी हैं. बाद में इसके पीछे उन्होंने शूट का हवाला देकर हर किसी को हैरान कर दिया था.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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