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यूट्यूब क्रिएटर्स हैं और वीडियो पर कमेंट्स से हैं परेशान! अपनाएं ये ट्रिक्स हो जाएगा काम

अगर आप यूट्यूब (YouTube) चैनल चलाते हैं तो जाहिर है आपको ढेरों कमेंट्स भी मिलते होंगे. लेकिन आपको इनको रोकना है या आप कमेंट्स चाहते ही नहीं हैं. कोई बात नहीं, आप आसान तरीके अपनाकर ऐसा कर सकते हैं. YouTube कंटेंट क्रिएटर्स को वीडियो पर आने वाले कमेंट को टर्न ऑफ करने की सुविधा उपलब्ध कराता है. क्रिएटर्स सेटिंग में जाकर कमेंट को ऑफ भी कर सकते हैं.  

कमेंट को ऐसे कर सकते हैं बंद या ऑफ

शुरुआत में अपने यूब अकाउंट को यूजर आईडी और पासवर्ड से लॉग इन करें. पेज ओपन होने पर राइट साइड में प्रोफाइल आइकन पर क्लिक करें.
इसके बाद ड्रॉप डाउन मेन्यू में से YouTube Studio को सलेक्ट कर लें
फिर लेफ्ट साइड में आ रहे मेन्यू में दिए गए सेटिंग के ऑप्शन पर क्लिक कर दें
यहां आपको Community दिखेगा इस पर क्लिक करें, फिर Deafult टैब पर क्लिक कर दें
ऐसा करने पर Comment on your Youtube Video सेक्शन मिलता है
यहां Allow all comments, Hold potentially inappropriate comments for review, Hold all comments for review और Disable comments का ऑप्शन मिलेगा.
आप जो भी ऑप्शन चाहते हैं, उसके मुताबिक ऑप्शन सलेक्ट कर सकते हैं.
समझ लें कि ये ऑप्शन सिर्फ YouTube स्टूडियो के ब्राउजर वर्जन के लिए हैं. Android या iPhone पर इनका यूज नहीं किया जा सकता.

आखिर ऐसा क्यों करना चाहता है क्रिएटर्स

वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब (YouTube) पर आज के समय में लोग अपना काफी समय बिताते हैं. क्रिएटर्स के वीडियो को लोग लाइक भी कर सकते हैं, कमेंट भी कर सकते हैं. पॉजिटिव तरीके से देखें तो क्रिएटर्स के लिए यह अच्छा है, लेकिन कई लोग कमेंट के जरिए गलत और अभद्र शब्द का इस्तेमाल करते हैं और यहां तक की गाली-गलौज करते हैं. 

यूट्यूब (YouTube) में दो तरह के चैनल के लिए कमेंट डिफॉल्ट रूप से क्लोज रहते हैं. बच्चों के लिए बने चैनल पर कमेंट डिफॉल्ट रूप से बंद होते हैं. उन्हें इनेबल करने का ऑप्शन नहीं है. प्राइवेट के रूप में मार्क की गई वीडियो के लिए कमेंट ऑफ होते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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