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BMC का कामकाज डिजिटल की तरफ बढ़ रहा

मुंबई:बीएमसी में प्रशासन ‘पारदर्शिता’ के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है। अगले कुछ महीनों में तमाम सुविधाओं को ऑनलाइन शुरू करने के साथ ही कर्मचारियों की उपस्थिति भी बायॉमैट्रिक तरीके से होने लगेगी। कुछ दिनों पहले ही बीएमसी ने अपनी वेबसाइट भी अपडेट कर ली है। लोग घर बैठे ही सुविधाओं के लिए ऑनलाइन पेमेंट भी कर पाएंगे। अगले सप्ताह आने वाले बीएमसी बजट में आईटी से जुड़ी सुविधाओं के लिए पर्याप्त बजट मुहैया कराया जाएगा।

ई-फाइल भी जल्द

बीएमसी में जमा फाइलों का बोझ आने वाले दिनों में हल्का हो सकता है। प्रशासन बिल्डिंग प्रपोजल की तरह सभी फाइलों को ऑनलाइन मंजूरी देने की प्रक्रिया में है। इससे एक-विभाग से दूसरे विभाग में फाइलों की आवाजाही नहीं होगी। ऑनलाइन ही फाइलें जाएंगी। आईटी विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि मई से इसे शुरू किया जा सकता है।

अजेंडा भी ऑनलाइन

बीएमसी की तमाम समितियों के कामकाज का एजेंडा भी ऑनलाइन करने की तैयारी है। शुरुआत में इसे प्रमुख समितियों से शुरू किया जाएगा। जिसे बाद में सभी समितियों पर लागू कर दिया जाएगा। वर्तमान में समिति सदस्यों के घरों पर बीएमसी कर्मी अजेंडा लेकर जाते हैं। जिसमें न केवल पैसे व्यर्थ होते हैं, बल्कि करोड़ों की संख्या में पेपर का भी दुरुपयोग होता है। अजेंडे को ऑनलाइन उपलब्ध कराकर जनता के सामने भी लाने का विचार चल रहा है।

ऑनलाइन पेमेंट

बीएमसी की तमाम सुविधाओं के लिए पेमेंट भी ऑनलाइन शुरू करने की तैयारी है। जिससे लोगों को वॉर्ड ऑफिस तक आना ही न पड़े। ऑनलाइन ही पेमेंट गेटवे को भी जोड़ने की तैयारी है। इसके अतिरिक्त भी हेल्थ समेत अन्य विभागों में ऑनलाइन सुविधाएं शुरू करने पर काम चल रहा है।

15 अप्रैल से बायॉमैट्रिक उपस्थिति

बीएमसी में 15 अप्रैल से बायॉमैट्रिक उपस्थिति शुरू की जाएगी। 1 लाख से अधिक कर्मचारियों वाले प्रशासन में से करीब 40,000 लोगों का डेटा ले लिया गया है। सभी कर्मचारियों का डेटा लेने के बाद इस सेवा को शुरू कर दिया जाएगा। दरअसल, अभी तक कर्मचारियों के जल्दी जाने की शिकायतें आती रहती हैं। नई सर्विस आने के बाद इस तरह की रवैये पर लगाम लगेगी। यह सर्विस आधार से जुड़ी होगी। जिससे अंगूठे के निशाने लगाने के बाद ही उपस्थिति मान्य होगी।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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