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मेरी माटी मेरा देश’ के समापन समारोह में बहादुरों को श्रद्धांजलि देंगे प्रधानमंत्री

(माय भारत) की भी होगी शुरुआत 30 और 31 अक्टूबर को आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन समारोह में 20 हजार से अधिक अमृत कलश यात्री होंगे उपस्थित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर, 2023 को इंडिया गेट स्थित कर्तव्य पथ/विजय चौक पर ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान के समापन समारोह को संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम में 766 जिलों के 7000 ब्लॉकों से अमृत कलश यात्री भी उपस्थित होंगे। इस समापन समारोह के लिए 8500 से अधिक कलश 29 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेंगे। यह कार्यक्रम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ अभियान के समापन का भी प्रतीक होगा। आपको बता दें कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत पिछले दो सालों में दो लाख से अधिक कार्यक्रम भारत के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित किए गए।
इस कार्यक्रम में स्वायत्त निकाय ‘मेरा युवा भारत’ (माय भारत) की भी शुरूआत होगी, जो युवा आधारित विकास पर सरकार का ध्यान केंद्रित करेगा और युवाओं को विकास का ‘एक्टिव ड्राइवर’ बनाने में मदद भी करेगा। इस स्वायत्त निकाय का उद्देश्य युवाओं को सामुदायिक परिवर्तन एजेंट और राष्ट्र निर्माता बनने के लिए प्रेरित करना है, जिससे वे सरकार और नागरिकों के बीच ‘युवा सेतु’ के रूप में कार्य कर सकें।
कर्तव्य पथ/विजय चौक पर आयोजित इस दो दिवसीय (30 और 31 अक्टूबर) ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान के समापन समारोह में भाग लेने के लिए 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 20 हजार से अधिक अमृत कलश यात्री विशेष रूप से समर्पित ट्रेनों, बसों और स्थानीय परिवहन जैसे विभिन्न साधनों से 29 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचेंगे। ये अमृत कलश यात्री दो शिविरों- गुड़गांव में धनचिरी शिविर और दिल्ली में राधा स्वामी सत्संग ब्यास शिविर में रूकेंगे।

ये है कार्यक्रम की रूपरेखा
30 अक्टूबर को, सभी राज्य अपने-अपने ब्लॉक और शहरी स्थानीय निकायों का प्रतिनिधित्व करते हुए ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को दर्शाते हुए अपने कलश से मिट्टी को एक विशाल अमृत कलश में डालेंगे। अमृत कलश में मिट्टी डालने की रस्म के दौरान प्रत्येक राज्य के लोकप्रिय कला रूपों को प्रदर्शित किया जाएगा। कार्यक्रम सुबह 10:30 बजे से शुरू होगा और देर शाम तक चलेगा।

31 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक सांस्कृतिक प्रदर्शन के साथ एक सार्वजनिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा। शाम 4 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमृत कलश यात्रियों समेत संपूर्ण राष्ट्र को संबोधित कर उन बहादुरों को याद करेंगे, जिन्होंने भारत को स्वतंत्र रूप से सांस लेने और समृद्ध बनाने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
मेरी माटी मेरा देश अभियान की उपलब्धियां
आजादी का अमृत महोत्सव के समापन समारोह के उपलक्ष्य में शुरू किया गया मेरी माटी मेरा देश अभियान देश के वीर-वीरांगनाओं के सम्मान में शुरू किया गया अभियान है। यह अभियान देश के वीरों को नमन और देश की पवित्र मिट्टी का वंदन करता है। इस अभियान को दो चरणों में मनाया गया। पहले चरण में स्वतंत्रता सेनानियों और सुरक्षा बलों के लिए शिलाफलकम, पंच प्राण प्रतिज्ञा, वसुधा वंदन और वीरों का वंदन जैसी पहल शामिल थी, जो बहादुरों के बलिदान का सम्मान करती थी।
अपने पहले चरण में, अभियान को भारी सफलता मिली, जिसमें 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 2.33 लाख से अधिक शिलाफलकम बनाए गए, लगभग 4 करोड़ पंच प्राण प्रतिज्ञा सेल्फी अपलोड की गईं और देश भर में 2 लाख से अधिक वीरों का वंदन कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके अतिरिक्त, 2.36 करोड़ से अधिक स्वदेशी पौधे लगाए गए और वसुधा वंदन थीम के तहत 2.63 लाख अमृत वाटिकाएं बनाई गई।
मेरी माटी मेरा देश के दूसरे चरण में अमृत कलश यात्राओं का आयोजन किया गया। भारत भर के ग्रामीण क्षेत्रों के 6 लाख से अधिक गांवों और शहरी क्षेत्रों के वार्डों से मिट्टी और चावल एकत्र किए गए। प्रत्येक गांव से एकत्रित मिट्टी को ब्लॉक स्तर पर लाया गया और फिर राज्य की राजधानी में लाया गया और एक समारोहपूर्वक विदाई के साथ हजारों अमृत कलश यात्रियों के साथ राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना किया गया।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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