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घर के बाहरी हिस्से में क्यों लगाया जाता है इन्वर्टर, क्या इसके फटने का होता है डर? जानिए हर छोट

<p>घर में बिजली कटौती के समय रोशनी और फैन चलाने के लिए इन्वर्टर लगाया जाता है. आपने अक्सर घर के बाहर के हिस्से में ही इन्वर्टर को लगा हुआ देखा होगा. क्या आपने कभी सोचा है कि इन्वर्टर को घर के बाहर के खुले हिस्से में ही लगाया जाता है? अगर आपने कभी इस बारे में नहीं सोचा है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसके बारे में हम यहां बताने जा रहे हैं.</p>
<p>आपको बता दें इन्वर्टर में दो पार्ट्स होते हैं, जिसमें यूपीएस और बैटरी होती है. यूपीएस बैटरी को चार्ज करने और बिजली जाने पर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई करने के काम आता है. वहीं बैटरी में बिजली स्टोर होती है, जो हमेशा यूपीएस के डायरेक्शन पर चार्जिंग और इलेक्ट्रिसिटी की सप्लाई करती हैं. आइए जानते हैं आखिर किस वजह से इन्वर्टर को घर के बाहर के हिस्से में क्यों लगाया जाता है.</p>
<h3><strong>क्यों रखते हैं घर के बाहरी हिस्से में इन्वर्टर</strong></h3>
<p>इन्वर्टर में चार्जिंग और इलेक्ट्रिसिटी आउटपुर के लिए वायरिंग होती है. इसके साथ ही इन्वर्टर की बैटरी कई बार फट भी जाती है. इन्हीं सब वजह से इन्वर्टर को घर के बाहरी हिस्से में लगाया जाता है, जिससे अगर इसमें कोई दिक्कत हो, तो घर को ज्यादा नुकसान न हो.</p>
<h3><strong>इन्वर्टर के बाहर रखने का फायदा</strong></h3>
<p>इन्वर्टर अगर घर के बाहर लगा होता हैं, तो उसमें मैकेनिक बाहर से बाहर ही पानी डालकर जा सकता है. वहीं इन्वर्टर के बाहर रखने से पानी डालने के दौरान जो थोड़ी बहुत गंदगी होती है, उसे आप आसानी से साफ कर सकते हैं.</p>
<h3><strong>बच्चों की पहुंच से दूर होता है इन्वर्टर</strong></h3>
<p>अगर आप घर के बाहर के हिस्से में इन्वर्टर लगाते हैं, तो ये बच्चों की पहुंच से भी दूर रहता है. ऐसे में कोई अप्रिय घटना का भी डर नहीं रहता. आपको बता दें इन्वर्टर को घर के बाहर के हिस्से में ऊंचाई पर अलमारी में रखना चाहिए और इसमें जालीदार दरवाजे लगवाने चाहिए.</p>
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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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