बॉलीवुड और मनोरंजन

दिग्गज अभिनेत्री तनुजा की बिगड़ी तबीयत, आईसीयू में हुईं भर्ती, जानें अब कैसी हैं तबियत

Tanuja Hospitalised: अपने दौर की जानी-मानी फ़िल्म‌ अभि‌नेत्री तनुजा‌ की तबीयत बिगड़ी. मुम्बई के जुहू के एक अस्पताल में तनुजा को भर्ती कराया गया है. तनुजा इस वक्त अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हैं. तनुजा को उम्र संबंधी बीमारियों के चलते अस्पताल में दाखिल कराये जाने की बात सूत्र ने बताई, फिलहाल इस पर अधिक जानकारी सामने नहीं है कि आखिर उन्हें एक्जैक्टली क्या हुआ है. 

दिग्गज अभिनेत्री तनुजा की बिगड़ी तबीयत

80 साल की अभिनेत्री तनुजा फिलहाल डॊक्टरों की निगरानी में हैं और उनके स्वास्थ्य को लगातार मॊनिटर किया जा रहा है. दिग्गज बॉलीवुड अभिनेत्री तनुजा की तबीयत बिगड़ने की जानकारी सामने आई है. एक्ट्रेस काजोल देवगन की मां को उम्र संबंधी दिक्कतों के कारण रविवार को जुहू के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया.

 

आईसीयू में भर्ती हुईं काजोल की मां

एक्ट्रेस तनुजा किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, उन्होंने कई हिंदी और बंगाली फिल्मों में काम किया है. तनुजा गुजरे जमाने की स्टार शोभना समर्थ और निर्माता कुमारसेन समर्थ की बेटी हैं. तनुजा नूतन की बहन हैं.

बता दें कि तनुजा का जन्म 23 सितंबर, 1943 को हुआ था. कम उम्र में ही एक्ट्रेस ने अपने अभिनय से सभी को हैरान कर दिया. केवल 16 की उम्र में तनुजा की पहली फिल्म ‘छबीली’ (1960) रिलीज हुई और इसके बाद वह वर्ष 1962 की फिल्म ‘मेम दीदी’ में नजर आईं.

इन फिल्मों से बनाई तनुजा ने खास पहचान

इसके अलावा तनुजा को ‘बहारें फिर भी आएंगी’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘हाथी मेरे साथी’ और ‘मेरे जीवन साथी’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है. तनुजा ने कई बंगाली फिल्में भी की हैं. इसी के साथ शोमू मुखर्जी से तनुजा की मुलाकात फिल्म ‘एक बार मुस्कुरा दो’ के सेट पर हुई थी. दोनों ने साल 1973 में शादी कर ली थी. तनुजा की दो बेटियां काजोल और तनीषा हैं.

 

यह भी पढ़ें: Suresh Oberoi ने शेयर किया Animal में रणबीर कपूर संग काम करने का एक्सपीरियंस, बताया क्यों नीतू कपूर को कर दिया था मैसेज

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button