बांके बिहारी मंदिर : 50 साल से मंदिर में बंद है बिहारीजी का खजाना, तहखाने में छिपा है राज
बिहारी जी के दाहिनी ओर द्वार से एक दर्जन सीढ़ियाँ उतरने के बाद बाईं ओर ठाकुरजी के सिंहासन के मध्य में तोशखाना है। 1926 और 1936 में ब्रिटिश शासन के दौरान दो बार डकैती भी की गई थी। इन घटनाओं की रिपोर्ट के कारण चार लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी की गई थी।
लूट के बाद गोस्वामी समाज ने गोदाम का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया और माल डालने के लिए एक छोटा सा मोखा (मुंह) बनाया। 1971 में कोर्ट के आदेश से कोषागार के दरवाजे पर लगे ताले को सील कर दिया गया जो आज भी कायम है।
वर्ष 2002 में तत्कालीन मंदिर ट्रस्टी वीरेंद्र कुमार त्यागी को कई सेवकों द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन के माध्यम से तोशाखाना खोलने के लिए कहा गया था। वर्ष 2004 में, मंदिर प्रशासन ने गोस्वामी के अनुरोध पर फिर से तोशाखाना खोलने के लिए कानूनी प्रयास किए, लेकिन यह भी असफल रहा।
वर्ष 1971 में मंदिर प्रबंधन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष प्यारेलाल गोयल के निर्देशन में जेवर, जेवर आदि हटाकर सबसे मूल्यवान, अंतिम खुले तोशाखाने से, एक सूची बनाकर, उसने पूरी वस्तु को एक बॉक्स में सील कर दिया और इसे स्टेट बैंक ऑफ मथुरा भूतेश्वर में जमा कर दिया। सूची की प्रति समिति के सात सदस्यों को प्राप्त हुई। उसके बाद आज तक उस पेटी को वापस करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।