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माइक्रोवेव ओवन में खाना गर्म करना कितना सेफ? जानने के बाद कर लेंगे तौबा

Microwave Oven : घर-ऑफिस के लिए माइक्रोवेव ओवन एक जरूरी गैजेट हो गया है. घर में बच्चे, जवान और बुजुर्ग ओवन में खाना गर्म करके खाते हैं. वहीं ऑफिस में लंच टाइम में माइक्रोवेव ओवन के पास खाना गर्म करने के लिए लंबी लाइन लग जाती है और सभी गर्म खाने का लुत्फ उठाते हैं.

इन सब बातों के बीच लोग अक्सर भूल जाते है कि माइक्रोवेव ओवन में खाना गर्म करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इसमें निकलने वाला रेडिएशन फूड में मौजूद पौष्टिकता को तो खत्म करता ही है, साथ में आपको कई भयंकर बीमारी तोहफे में भी देता है. अगर आप भी माइक्रोवेव ओवन में खाना गर्म करके खा रहे हैं, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए.

माइक्रोवेव ओवन में कैसे गर्म होता है खाना

माइक्रोवेव में खाने के बर्तन रखे जाते हैं और उनमें खाना रखा जाता है. जब आप माइक्रोवेव को सेट करते हैं, तो इलेक्ट्रिक संचालन माइक्रोवेव के अंदर उपस्थित पेरियॉडिकल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को प्रेरित करता है, जिनका परिणाम यह होता है कि माइक्रोवेव रेडिएशन उत्पन्न करता है.

कुल मिलाकर माइक्रोवेव ओवन में जो कुकिंग होती है, वह पूरी तरह से रेडिएशन की बदौलत होती है और लगातार रेडिएशन निकलने की वजह से खाना तैयार हो जाता है. आप माइक्रोवेव ओवन में तापमान सेट कर सकते हैं और एक तय समय तक अपने खाने को रेडिएशन के संपर्क में ला सकते हैं.

  • माइक्रोवेव को रोज इस्तेमाल करने से शरीर पर विभिन्न प्रभाव पड़ सकते हैं, लेकिन यह प्रभाव आमतौर पर सामान्य और सुरक्षित होते हैं. यहां कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव दिए गए हैं.
  • पोषण का हानि: खाना माइक्रोवेव में पकाने से उसके पोषण में हानि हो सकती है, क्योंकि इसमें कुछ विटामिन और मिनरल्स की मात्रा कम हो सकती है.
  • रेडिएशन: माइक्रोवेव का उपयोग रेडिएशन का उत्पादन करके खाने को गर्म करने के लिए करता है. इस खाने में रेडिएशन की मात्रा अत्यधिक नहीं होती है और आमतौर पर खाने में असर नहीं होता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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