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नोकिया ने 60 साल में पहली बार बदला अपना लोगो, जानिए क्या है इसके पीछे की स्ट्रेटजी

Nokia New Logo: नोकिया ने पिछले 60 सालों में पहली बार अपना लोगो बदला है. कंपनी की तरफ से यह एक बड़ा संकते है कि वह नए लोगो के साथ मार्केट में फिर से तगड़ी वापसी का प्लान बना रही है. आपको बता दें नोकिया के नए लोगो में पांच अलग-अलग तरह के डिजाइन हैं जो मिलकर NOKIA शब्द को बना रहे हैं. इस बार का लोगो रंगों के मामले में काफी बेहतर है. पहले ये सिर्फ नीले रंग का होता था, लेकिन नया लोगो कई रंगों से मिलकर बना है जो देखने में बेहद आकर्षक लग रहा है.

नोकिया ने हाल ही में लॉन्च किया था ये फोन

नोकिया ने हाल ही में Nokia G22 स्मार्टफोन को लॉन्च किया. इस मोबाइल फोन का बैक कवर 100% रीसाइकिल्ड प्लास्टिक से बना हुआ है. Nokia G22 की बैटरी, डिस्प्ले, चार्जिंग पोर्ट हर चीज को ग्राहक घर पर ही ठीक कर सकते हैं. इसके लिए कंपनी आपको मोबाइल फोन के साथ iFixit किट फ्री में दे रही है. इस किट के जरिए आप स्मार्टफोन का कोई भी पार्ट आसानी से बदल सकते हैं.

Nokia G22 में आपको 6.52 इंच की एचडी प्लस डिस्पले मिलती है जो 90hz के रिफ्रेश रेट को सपोर्ट करती है. मोबाइल फोन 4GB रैम और 128GB इंटरनल स्टोरेज के साथ आता है, जिसकी कीमत 15,500 रुपये के आस पास है. फोन में आपको ट्रिपल कैमरा सेटअप मिलता है जिसमें 50 मेगापिक्सल का मेन कैमरा है जबकि फ्रंट में सेल्फी के लिए 8 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है. मोबाइल फोन 5000 एमएएच की बैटरी के साथ आता है जो 20 वॉट की चार्जिंग को सपोर्ट करता है.

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सबसे ज्यादा बिका था नोकिया का ये फोन

नोकिया का Nokia 1100 दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला फोन है. इस फोन के दुनिया भर में लगभग 250 मिलियन (25 करोड़) यूनिट्स बिके थे. Nokia 1100 को 2003 में लॉन्च किया गया था. इसकी एक सरल और टिकाऊ डिवाइस के रूप में मार्केटिंग की गई थी. कम लागत, लंबी बैटरी लाइफ और यूजर्स फ्रेंडली डिजाइन की वजह से इसकी डिमांड तेजी से दुनिया भर में हो गई.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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