मो. असफाक ने रोजा तोड़ एक हिन्दू परिवार के बच्चे की जान बचाई। पेश की इंसानियत की अनूठी मिसाल I

धर्म चाहे कोई भी हो, हर धर्म का एक ही मकसद होता हे ,इंसानियत और प्यार I उसी धर्म को निभाते हुए एक मुस्लिम लड़के ने एक हिन्दू परिवार के बच्चे की जान बचाने के लिए अपना रोजा तोड़ इंसानियत की अनूठी मिसाल पेश की है I जी हाँ दरअसल बात बिहार के दरभंगा जिले की है जहा SSB के जवान रमेश कुमार सिंह की पत्नी आरती कुमारी ने दो दिन पहले एक प्राइवेट नर्सिंग होम में आपरेशन के बाद एक लड़के को जन्म दिया, जन्म के बाद से ही बच्चे की हालत बहुत बिगड़ने लगी जिसके बाद उसे आईसीयू में रखा गया। डॉक्टर्स ने बच्चे की हालत देख खून चढाने की सलाह दी ,बच्चे का बहुत रेयर ब्लड ग्रुप ‘ओ नेगेटिव होने के कारण बच्चे के परिवार को ब्लड ग्रुप ढूंढने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा बाबजूद ब्लड नहीं ढूंढ पाए I
Darbhanga: Mohammad Ashfaq broke his 'roza' (fast observed during Ramzan) to donate blood for a 2-day old child of SSB jawan Ramesh Singh, says, 'I thought saving a life is more important, knowing that she is daughter of a security personnel motivated me more.' #Bihar (27.05.18) pic.twitter.com/c1YogDnCGG
— ANI (@ANI) May 28, 2018
फिर किसी की सलाह पे बच्चे के पिता ने ब्लड ग्रुप की आवशयक्ता पूरी जानकारी के साथ फेसबुक पे शेयर की I शेयर करते ही मो. असफाक ने जैसे ही जानकारी मिली उसने तुरंत बच्ची के पिता को संपर्क किया और सामान ब्लड ग्रुप होने की जानकारी दी और और ब्लड देने की बात कह पूरी मदत का भरोसा दिया I लेकिन बच्चे के पिता के लिए परेशानी फिर भी खत्म नहीं हुई थी I जब ब्लड ग्रुप मिलने पे भी ब्लड बैंक के अधिकारियो ने खून लेने से इंकार करते हुऐ कहा की भूखे पेट खून नहीं निकाला जा सकता I तभी असफाक के लिए धर्मसंकट वाला समय था, की एक तरफ बच्चे की जान दूसरे तरफ भगवान के आस्था का सवाल I लेकिन आस्था से ऊपर इन्सान के जान को रखते हुऐ उन्होंने रोजा तोड़ा और बच्चे को खून देके सच्चा धर्म निभाया I उन्होंने मीडिया से पूछने पे कहा की रोजा तो फिर कभी रख लेंगे, पर जिंदगी किसी की लौट कर नहीं आती। मुझे गर्व है कि आज खुदा ने मुझसे यह काम करवाया है। इस बात से भी कोइ फर्क नहीं पड़ता की नवजात किस जाति या धर्म का है।’
इधर बच्चे के परिवार वालो के आँखों में खुशी के आँशु है क्यूंकि उनके लिए असफाक फरिश्ता साबित हुआ I बच्चे के दादा दादी पूरा परिवार असफाक को दुआएं दे रहे थे I साम्प्रदायिक कटुता जैसी मानसिकता पे ये बहुत बड़ा प्रहार है इस मिसाल से समाज को एक नयी सीख़ मिलेगी I