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नए साल में गूगल ने यूजर्स को दिया स्पेशल गिफ्ट, अब वेबसाइट ट्रैक नहीं कर पाएगी आपका डाटा

Google Chrome: आप जब भी गूगल या गूगल क्रोम पर किसी वेबसाइट को खोलते होंगे तो वहां एक्सेप्ट ऑल कूकीज़ (Accept All Cookies) का ऑप्शन आता होगा, जिसे एक्सेप्ट करने के बाद उस वेबसाइट की ओर से बेहतर सुविधा देने का दावा किया जाता है, लेकिन असल में उन कूकीज़ को एक्सेप्ट करने के बाद वो वेबसाइट आपके डाटा को ट्रैक करती है.

गूगल क्रोम में कौनसा नया फीचर आया है?

ट्रैक किए हुए इस डाटा का इस्तेमाल यूजर्स को उन्हीं की जरूरत के हिसाब से  विज्ञापन दिखाने के लिए किया जाता है. नया साल यानी 2024 आने के बाद गूगल ने अपने करोड़ों यूजर्स को एक नया तोहफा दिया है. अब गूगल के क्रोम पर किसी वेबसाइट को ब्राउज करने वाले यूजर्स के डाटा को कोई ट्रैक नहीं कर पाएगा.

थर्ड-पार्टी कुकीज़ से क्या होता है?

दरअसल, गूगल ने अपने क्रोम ब्राउजर में एक नया फीचर शामिल किया है, जिसकी मदद से यूजर्स थर्ड-पार्टी कुकीज़ को डिसेबल कर पाएंगे. ये वेब कुकीज़ बहुत छोटी फाइल होती है, जो किसी भी वेबसाइट को खोलते वक्त यूजर्स के फोन में सेव हो जाती है. इसी कारण आप एक बार अगर किसी खास चीज के बारे में सर्च करेंगे, तो फिर उससे जुड़े तमाम विज्ञापन आपको बार-बार देखने को मिलने लगेंगे. इससे बहुत सारे यूजर्स को परेशानी होती है.

सभी यूजर्स के लिए रोलआउट होगा नया फीचर

गूगल ने अपने क्रोम ब्राउज़र में यह नया बदलाव फिलहाल सिर्फ कुछ चुनिंदा यूजर्स के लिए उपलब्ध किया है. गूगल इस वक्त अपने इस नए फीचर का परीक्षण कर रहा है. गूगल ने इसके बारे में बात करते हुए अपने बयान में कहा कि, अभी इस फीचर का टेस्ट किया जा रहा है, और कुछ महीनों बाद इसे दुनियाभर के सभी क्रोम यूजर्स के लिए रोलआउट कर दिया जाएगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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