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जेल में बेटे संजय से मिलकर इसलिए रोए थे सुनील दत्त, एक्टर ने शेयर किया किस्सा

सिंगिंग रियलिटी शो ‘इंडियन आइडल 14’ इन दिनों लोगों का खूब मनोरंजन कर रहा है। शो में कंटेस्टेंट अपनी सुरीली आवाज से जज के साथ ही देश की जनता को खूब रिझा रहे हैं। वहीं, शो ‘इंडियन आइडल 14’ में आने वाले गेस्ट जज भी कंटेस्टेंट की सिंगिंग से काफी ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं और उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं। शो के आने वाले एपिसोड बॉलीवुड इंडस्ट्री के पॉपुलर एक्टर संजय दत्त आने वाले हैं। शो के कई प्रोमो वीडियो सामने आए हैं जिसनें संजय दत्त कंटेस्टेंट की गायकी को एजॉय करते नजर आए। वहीं, संजय दत्त ने अपने माता-पिता से जुड़े कुछ किस्से लोगों के साथ शेयर किए हैं। आइए जानते हैं कि संजय दत्त ने अपने माता-पिता को लेकर क्या बताया है। Also Read – नए साल का जश्न मनाने देश से निकले ये सितारे, विदेश में मनाएंगे सेलिब्रेशन

संजय दत्त ने बताया अपने पिता का एक किस्सा

संजय दत्त ने ‘इंडियन आइडल 14’ के सेट पर बताया कि उनके पिता सुनील दत्त काफी संस्कारी व्यक्ति रहे हैं। संजय दत्त ने उस समय का किस्सा सुनाया जब वह जेल में थे। संजय दत्त ने बताया, ‘जब मैं जेल में था तो मुझसे कहा जाता था कि मेरी बेल अगले हफ्ते में हो जाएगी। ऐसा कहते-कहते 9-10 महीने में जेल में बीत गए। फिर मेरे पिता सुनील दत्त मुझसे मिलने जेल में आए थे और मैंने उनसे कहा कि मेरी बेल का क्या हुआ। मेरे पिता ने मुझे गिरेबान से पकड़कर खींचा और रोने लगे। उन्होंने मुझसे कहा था कि तेरा बाप तेरे लिए कुछ नहीं कर सकता और वह चले गए।’ Also Read – बेटी त्रिशाला दत्त से मिलने पहुंचे संजू बाबा, दुबई में फैमिली संग मनाएंगे नए साल का जश्न

संजय दत्त ने अपनी मां को किया याद

‘इंडियन आइडल 14’ के सेट पर ही संजय दत्त ने अपनी मां नरगिस दत्त को याद किया और उनकी एक बात बताई। संजय दत्त ने कहा, ‘हम लोग माता-पिता को ऐसे लेते हैं कि वो हमेशा रहेंगे। मैं अपनी मां से जुड़ी एक बात शेयर करना चाहूंगा। मेरी मां मुझसे कहती थी कि संजय मेरे साथ बैठे, मेरे साथ कुछ समय बिताओ क्योंकि जब मैं चली जाऊंगी तो तुम्हें मेरी बातें याद आएंगी। उस समय तुम्हें बहुत बुरा लगेगा। अगर तब मैंने अपनी मां के साथ कुछ घंटे बिताए होते तो मुझे ये एहसास नहीं होता।’ Also Read – Year Ender: साल 2023 में हीरो के आगे लाइमलाइट लूट ले गए ये 7 खलनायक, सिनेमाघरों में मचा तहलका

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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