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आयुष शर्मा की ‘रुस्लान’ का बॉक्स ऑफिस से पत्ता साफ! दूसरे शनिवार का कलेक्शन रहा ‘जीरो’

Ruslaan Box Office Collection Day 9: आयुष शर्मा की फिल्म ‘रुस्लान’ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हो गई है. 26 अप्रैल को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली ये फिल्म पहले हफ्ते में ही पर्दे से उतर गई है. जहां अब तक ‘रुस्लान’ घरेलू ऑफिस पर हर रोज चंद लाख का कारोबार कर रही थी वहीं अब दूसरे हफ्ते इसका पत्ता ही साफ हो गया है.

‘रुस्लान’ दूसरे शनिवार को बॉक्स ऑफिस पर कुछ नहीं कमा पाई है. हर रोज बॉक्स ऑफिस पर पाई-पाई की मोहताज इस फिल्म ने पहले हफ्ते में 4 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था. अब सैकनिल्क की रिपोर्ट पर नजर डालें तो आयुष शर्मा स्टारर इस फिल्म के नवें दिन (दूसरे शनिवार) का कलेक्शन जीरो रहा है.

‘रुस्लान’ का डे-वाइज कलेक्शन












Day 1  ₹ 0.6 करोड़
Day 2  ₹ 0.8 करोड़
Day 3 ₹ 0.9 करोड़
Day 4  ₹ 0.4 करोड़
Day 5  ₹ 0.55 करोड़
Day 6  ₹ 0.45 करोड़
Day 7  ₹ 0.3 करोड़
Day 9  ₹ 0 करोड़ (शुरुआती आंकड़े)
कुल ₹ 4 करोड़

‘रुस्लान’ का बजट
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक महज 4 करोड़ रुपए का बिजनेस करने वाली फिल्म ‘रुस्लान’ का बजट 25 करोड़ रुपए है. ऐसे में साफ है कि मेकर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.


फिल्म की स्टारकास्ट
करण बुटानी के डायरेक्शन में बनी ‘रुस्लान’ एक एक्शन फिल्म है जिसे के.के. राधामोहन ने प्रोड्यूस किया है. आयुष शर्मा फिल्म में मुख्य भूमिका अदा करते नजर आए हैं वहीं सुश्री श्रेया मिश्रा, जगपति बाबू और विद्या मालवड़े भी फिल्म का हिस्सा हैं.

आयुष शर्मा की फ्लॉप लिस्ट में जुड़ा एक और नाम
बता दें कि ‘रुस्लान’ आयुष शर्मा की तीसरी फिल्म है जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई है. इससे पहले वे अपने साले सलमान खान के साथ फिल्म ‘अंतिम’ में नजर आए थे. ये फिल्म भी पर्दे पर नाकाम साबित हुई थी. वहीं एक्टर की डेब्यू फिल्म ‘लवयात्री’ भी फ्लॉप हो गई थी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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