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टाइगर श्रॉफ की फिल्म का वीकडे पर निकला दम, छठें दिन किया इतना कलेक्शन

Ganapath Box Office Collection Day 6: टाइगर श्रॉफ (Tiger Shroff) और कृति सेनन (Kriti Sanon) की फिल्म गणपत (Ganapath) को रिलीज हुए एक हफ्ता पूरा होने वाला है. फिल्म को रिलीज हुए एक हफ्ता होने वाला है और ये फिल्म अब तक सिर्फ 10 करोड़ का ही कलेक्शन कर पाई है. जिसे देखकर लग रहा है कि इसका अपना बजट पूरा करना ही मुश्किल होने वाला है. गणपत को ऑडियन्स ने पसंद नहीं किया है जिसकी वजह से उसका ये हाल देखने को मिल  रहा है. गणपत का छठे दिन का कलेक्शन सामने आ गया है. छठे दिन फिल्म ने कुछ खास कलेक्शन भी नहीं किया है. आइए आपको इसके छठे दिन के कलेक्शन के बारे में बताते हैं.

टाइगर श्रॉफ और कृति सेनन की गणपत में जबरदस्त एक्शन देखने को मिला है. जो फैंस के लिए काफी एंटरटेनिंग है. लेकिन हर बार की तरह फैंस को टाइगर की फिल्म में एक्शन ही देखने को मिला. कुछ नयापन ना होने की वजह से इसे लोग देखने नहीं जा रहे हैं.

छठें दिन किया इतना कलेक्शन

  • गणपत जबसे रिलीज हुई है इसने 2-2.5 करोड़ का ही कलेक्शन किया है. लेकिन सोमवार से ये कलेक्शन बहुत कम हो गया है. सैकनिल्क की रिपोर्ट के मुताबिक गणपत ने छठे दिन 1.10 करोड़ का कलेक्शन किया है. जिसके बाद टोटल कलेक्शन 10.90 करोड़ हो गया है.
  • गणपत के डेवाइज कलेक्शन की बात करें तो इसने पहले दिन 2.5 करोड़, दूसरे दिन 2.25 करोड़, तीसरे दिन 2.25 करोड़, चौथे दिन 1.3 करोड़, पांचवें दिन 1.50 करोड़ का कलेक्शन किया था. वीकडे पर ये कलेक्शन गिरता ही जा रहा है. वीकेंड पर इसके थोड़ा उठने की उम्मीद की जा रही है.

गणपत के डायरेक्शन की बात करें तो इसे विकास बहल ने डायरेक्ट किया है. फिल्म में टाइगर और कृति के साथ अमिताभ बच्चन और एली अवराम अहम किरदार निभाते नजर आए हैं. अमिताभ बच्चन की एक्टिंग को काफी पसंद किया जा रहा है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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