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पति भरत तख्तानी से अलग हुईं ईशा देओल, एक्ट्रेस का शादी के 12 साल बाद टूटा रिश्ता!

बॉलीवुड इंडस्ट्री से आए दिन डेटिंग और ब्रेकअप से लेकर शादी और तलाक की खबरें सामने आती रहती हैं। अब एक और तलाक की खबर सामने आई है। अब बॉलीवुड के वेटरन स्टार्स और कपल धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की बड़ी बेटी ईशा देओल और उनके पति भरत तख्तानी के तलाक की खबर आई है। ईशा देओल और भरत तख्तानी ने 12 साल पहले शादी की थी और दोनों के दो बेटिया हैं। बताते चलें कि इन ईशा देओल और भरत तख्तानी के अलग होने की खबरें काफी पहले आई थीं जब सोशल मीडिया पर एक यूजर ने दावा किया था कि दोनों के बीच चीजें ठीक नहीं हैं। आइए जानते हैं कि ईशा देओल और भरत तख्तानी के तलाक पर क्या खबर है।

ईशा देओल और भरत तख्तानी ने जारी किया बयान

‘दिल्ली टाइम्स’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि ईशा देओल और भरत तख्तानी ने एक जॉइंट स्टेटमेंट रिलीज किया है और अपने अलग होने की जानकारी दी है। ईशा देओल और भरत तख्तानी की तरफ से रिलीज किए गए इस स्टेटमेंट कहा गया है, ‘हमने अपनी सहमति से अलग होने का फैसला किया है। हमारी लाइफ में ये बदलाव हमारे और हमारे दोनों बच्चों के हित में है जो हमारे लिए बेहद जरूरी है। हम इस बात की तारीफ करेंगे कि हमारी प्राइवेसी की रिस्पेक्ट की जाए।’ गौरतलब है कि ईशा देओल और भरत तख्तानी साल 2012 में शादी की थी और इस कपल के एक बेटी साल 2017 में हुई और दूसरी बेटी साल 2019 में हुई थी। Also Read – भरत तख्तानी संग तलाक की खबरों के बीच ईशा देओल ने शेयर किया वीडियो, कहा- ‘कभी-कभी आपको…’

ईशा-भरत के अलग होने को लेकर किया गया था दावा

बता दें कि कुछ दिनों पहले रेडिट यूजर अपनी पोस्ट में दावा किया था कि ईशा देओल ने अपने पति के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीरें शेयर करना बंद कर दिया है। ईशा देओल अधिकतर मौकों पर अपनी मां हेमा मालिनी के साथ नजर आती हैं। बताते चलें कि ईशा देओल ने 2 नवंबर को अपना जन्मदिन मनाया था और उनके पति भरत तख्तानी नजर नहीं आए थे। वहीं, 16 अक्टूबर को हेमा मालिनी के जन्मदिन की पार्टी में भरत तख्तानी शामिल नहीं हुए थे। इसके बाद से लोग ईशा देओल और भरत तख्तानी के अलग होने की कयासबाजी कर रहे थे।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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