टैकनोलजी

जमीन छोड़िए अब चांद पर घर बनाने की सोच रहा चीन, इस टेक्नोलॉजी की ली जाएगी मदद

Life On Moon: टेक्नोलॉजी किस कदर बदल रही है उसका एक उदहारण ये है कि अब कुछ देश जमीन के बजाय चांद पर आशियाना बनाने की सोच रहें हैं. अमेरिका इस दिशा में पहले से ही काम कर रहा है. अब इस रेस में चीन भी शामिल हो गया है. चीन 2030 तक चांद पर इंसानो (अंतरिक्ष यात्री) को भेजना चाहता है. चाइना डेली की एक रिपोर्ट में ये कहा गया है कि चीन चांद पर घर और बिल्डिंग बनाने के लिए शुरुआत में 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल करेगा. चीन इसके लिए रोबोटिक “मेसन” के माध्यम से चंद्र मिट्टी से बने इटो का इस्तेमाल करेगा.

चांद पर घर बनाने के लिए चीन अलग-अलग मिशनों पर काम कर रहा है. 2020 में किया गया एक मिशन चांग’ई 5 (Chang’e 5) चीन के लिए पहली बार चांद की सतह से मिट्टी लेकर आया था. चीन ने 2013 में चंद्र लैंडिंग की थी और अब चीन का उद्देश्य 2030 तक चांद पर इंसानो को पहुंचना है. इसके लिए चीन अलग-अलग Chang’e 6, Chang’e 7 और Chang’e 8 जैसे मिशन चलाएगा. चाइना डेली के मुताबिक, Chang’e 8 मिशन विशेषकर चांद पर इंसानो के रहने की जानकारी को इक्ठा करेगा कि वहां वातावरण और मिनरल कम्पोजिशन कैसा है. चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेटिव के एक साइंटिस्ट ने कहा कि अगर हमे चांद पर लंबे समय के लिए रहना है तो हमे चांद की सतह पर वहां के हिसाब से स्पेस स्टेशन बनाने होंगे. चीनी मीडिया के मुताबिक, चीन 2028 तक चांद पर बिल्डिंग बनाने का काम शुरु कर सकता है.

चांद पर इतना है तापामन

अब तक कई ऐसी रिपोर्ट्स आ चुकी हैं जो चांद पर जीवन जीने की संभावना को बताती है. पिछले साल डीडब्ल्यू की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें ये कहा गया  कि चांद पर कुछ जगह ऐसे गड्डे हैं जहां टेम्परेचर पृथ्वी की तरह है और यहां इंसान रह सकते हैं. वैसे चांद पर तापमान दिन में 280 डिग्री से लेकर रात में माइनस 250 डिग्री तक चला जाता है. खैर अभी इसपर रिसर्च जारी है और भविष्य में ऐसा हो सकता है कि चांद पर लोग रहें. 

यह भी पढ़ें: Amazon का HR बनकर कर ली लाखों की ठगी, पीड़ित ने परिवार के जेवर तक रख दिए थे गिरवी

News Reels

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button