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सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग से कैसे डील करती हैं सुहाना? शाहरुख खान की लाडली ने दिया जवाब

Suhana Khan News: सुहाना खान जल्द ही द आर्चीज़ से अभिनय की शुरुआत करने जा रही हैं, उनसे पूछा गया कि वह ट्रोल्स से कैसे निपटती हैं. अपनी नेटफ्लिक्स फिल्म का प्रचार करते हुए एक इंटरव्यू के दौरान सुहाना ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करने में किस चीज से मदद मिली.

सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग से कैसे डील करती हैं सुहाना?

सुहाना, जिनके 4.4 मिलियन इंस्टाग्राम फॉलोअर्स हैं, अभिनेता शाहरुख खान और फिल्म निर्माता और डिजाइनर गौरी खान की बेटी हैं. सुहाना खान ने कहा कि वह अभी भी सीख रही हैं कि अपने रास्ते में आने वाली नेगेटिव से कैसे निपटना है.

उन्होंने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो मैं इससे बहुत अच्छी तरह से नहीं निपटती. मुझे लगता है कि वास्तव में जो चीज मुझे मदद करती है और जब मैं लोगों से मिलना, कॉलेजों में जाना देखकर बहुत खुशी होती है, जिससे मुझे दोनों को अलग करने में बहुत मदद मिलती है”. 

जोया अख्तर की फिल्म द आर्चीज़ का प्रीमियर 7 दिसंबर को नेटफ्लिक्स पर होगा. 1960 के दशक के भारत में स्थापित, सुहाना के अलावा, द आर्चीज़ में जया बच्चन और अमिताभ बच्चन के पोते अगस्त्य नंदा और दिवंगत श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी ख़ुशी कपूर भी हैं. 

बता दें कि सुहाना खान, अगस्त्य नंदा और खुशी कपूर जैसे पॉपुलर स्टार किड्स से सजी ये फिल्म 7 दिसंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने वाली है.

बता दें कि द आर्चीज का टीजर देखकर आपको पॉप कल्चर की याद आएगी. वीडियो की शुरुआत रिवरडेल स्टेशन पर एक टॉय ट्रेन के रुकने से होती है. फिल्म में रिवरडेल इंडिया का एक हिल स्टेशन है. शहर में रेट्रो कारें हैं, साथ ही फिल्म के किरदार आपको रेट्रो वाइब देंगे.

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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