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‘एनिमल’ के सेट से वायरल हुआ अनिल कपूर का वीडियो, बॉडी डबल के लिए ऐसे तैयार हुआ था लुक

Anil Kapoor Transformation Video From Animal: रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) की फिल्म ‘एनिमल’ (Animal) बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर रही है. दुनियाभर से फिल्म को खूब प्यार मिल रहा है. इसमें अनिल कपूर (Anil Kapoor) ने रणबीर कपूर के पिता बलबीर सिंह  का रोल निभाया है. अब फिल्म सेट से एक वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि बॉडी डबल के लिए अनिल कपूर का लुक किस तरह प्रोस्थेटिक मेकअप के जरिए तैयार किया गया था.

यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि अनिल कपूर ने फिल्म ‘एनिमल’ में अपने बॉडी डबल कैलाश की भूमिका खुद निभाई थी. इसके लिए प्रोस्थेटिक मेकअप का इस्तेमाल किया गया था. 

प्रोस्थेटिक के जरिए अनिल कपूर का लुक हुआ था तैयार
फिल्म के बिहाइंड द सीन वीडियो में देखा जा सकता है कि अनिल कपूर को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी ताकि वह करैक्टर में खुद को उतार सकें. वीडियो में अनिल को फुल फेशिअल मास्क पहने हुए दिखाया गया है. मेकअप आर्टिस्ट बॉडी डबल के लिए उनका लुक तैयार कर रहे हैं. उन्होंने फिल्म में डबल रोल की तैयारी के लिए प्रोस्थेटिक्स का सहारा लिया था. अनिल कपूर के लुक में इस बदलाव के लिए कई घंटे लगे थे.


दुनियाभर में 750 करोड़ के पार हुई ‘एनिमल’
रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ बॉक्स ऑफिस पर शानदार कलेक्शन कर रही है. पिछले 13 दिनों में फिल्म ने भारत में अब तक 466 करोड़ रुपये का बिजनेस कर लिया है. वहीं, दुनियाभर में ‘एनिमल’ 757 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर चुकी है. बताया जा रहा है कि बहुत जल्द ये फिल्म 1000 करोड़ के आंकड़े पार कर जाएगी.

बॉबी देओल की एक्टिंग की हो रही जमकर तारीफ
बता दें कि ‘एनिमल’ (Animal) का निर्देशन संदीप रेड्डी वांगा (Sandeep Reddy Vanga) ने किया है. इसमें रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) और अनिल कपूर (Anil Kapoor) के अलावा रश्मिका मंदाना, तृप्ति डिमरी और बॉबी देओल ने अहम भूमिका निभाई है. फिल्म में खलनायक बने बॉबी देओल की एक्टिंग की खूब तारीफ हो रही है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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