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पीएम मोदी ने कहा- AI देश की टेक इकोसिस्टम को व्यापक बनाने में कारगर

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) तकनीक को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को कहा कि यह देश के टेक इकोसिस्टम को और भी व्यापक बना सकता है. ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन के साथ हुई मीटिंग में कहा कि खासकर युवाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) टेक्नोलॉजी को अपनाने की क्षमता बहुत ज्यादा है. पीएम मोदी (PM MODI) ने कहा कि हम सभी सहयोगों का स्वागत करते हैं जो हमारे नागरिकों को मजबूत बनाने के लिए हमारे डिजिटल चेंज को रफ्तार दे सकते हैं. पीटीआई की खबर के मुताबिक, उन्होंने ऑल्टमैन के साथ बातचीत को व्यावहारिक बताते हुए ट्वीट किया.

प्रधानमंत्री के साथ शानदार बातचीत

खबर के मुताबिक, ऑल्टमैन (Sam Altman) ने एक ट्वीट में कहा कि भारत के अविश्वसनीय टेक इकोसिस्टम और एआई (AI) से देश को कैसे फायदा हो सकता है, इस पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री (PM Modi) के साथ शानदार बातचीत हुई. उन्होंने आगे लिखा कि वास्तव में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में लोगों के साथ मैंने सभी मीटिंग का आनंद लिया.

नए विचारों पर चल रहा काम

ऑल्टमैन (OpenAI CEO Sam Altman) ने कहा, हम उन नए विचारों पर काम कर रहे हैं, जो लगता है कि हमें इसकी जरूरत है, लेकिन हम शुरुआत के करीब नहीं हैं. इसी साल मई में, ऑल्टमैन ने स्वीकारा था कि अगर जनरेटिव एआई टेक्नोलॉजी गलत हो जाती है, तो यह अच्छा है, क्योंकि अमेरिकी सीनेटरों ने चैटजीपीटी जैसे एआई चैटबॉट्स के बारे में अपनी आशंका व्यक्त की थी.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) का इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि प्रोडक्शन, फाइनेंशियल सर्विसेस, हेल्थ केयर, कम्यूनिकेशन, ऑर्गनाइजेशन, कंप्यूटर साइंस, मैनुफैक्चरिंग, गेम डिजाइन, रोबोटिक्स, सुरक्षा, विमानन, रिसर्च आदि. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की विभिन्न उप-शाखाओं में शामि/U yल हो सकते हैं, जैसे कि मशीन लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क, बिजनेस इंटेलीजेंस, सेल्फिश इंटेलीजेंट, ऑटोनोमस इंटेलीजेंस आदि.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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