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PUBG और BGMI की कंपनी ने लॉन्च किया नया गेम Garuda Saga, भारतीय थीम पर है बेस्ड

Krafton India: पिछले कुछ सालों से भारत में बैटर रॉयल गेम का क्रेज काफी तेजी से बढ़ा और फैला है. क्राफ्टन ने PUBG नाम का एक गेम लॉन्च किया था, जिसने भारत ने काफी  लोकप्रियता हासिल की थी. हालांकि, उस गेम को भारत में बैन कर दिया गया, जिसके बाद कंपनी ने भारत के लिए एक स्पेशल बैटल रॉयल गेम डेवलप किया, जिसका नाम BGMI यानी बैटलग्राउंड मोबाइल इंडिया है. इस गेम ने भी कुछ ही समय में युवाओं की लोकप्रियता हासिल कर ली.

बैटर रॉयल गेम्स की लिस्ट में आया गरुड़ सागा

इस वक्त भारत में बीजीएमआई जैसे और भी कई बैटर रॉयल गेम्स उपलब्ध हैं, जैसे Free Fire Max, Call of Duty, Genish Impact, New State Mobile जैसे कई गेम मौजूद हैं. इन्हीं के बीच अब एक और नया गेम शामिल हो चुका है, जिसका नाम गरुड़ सागा (Garuda Saga) है. इस गेम को क्राफ्टन इंडिया ने अलकेमिस्ट गेम्स के साथ मिलकर डेवलप किया है.  यह गेम पूरी तरह से भारतीय थीम पर आधारित है. इस गेम की पिक्चर्स देखकर आप समझ ही गए होंगे कि इसमें आम बैटल रॉयल गेम्स की तरह गोली, बंदूक, बारूद या बम का नहीं बल्कि धनुष-बाण का इस्तेमाल किया जाएगा. कंपनी का कहना है कि इसे खासतौर पर भारत के गेमर्स के लिए डिजाइन किया गया है, इसलिए इसका गेमप्ले बाकी गेम्स से काफी अलग है. 

धनुष-बाण से राक्षस पर हराना होगा लक्ष्य

यह गेम अब एंड्रॉयड और आईओएस पर डाउनलोड करने और खेलने के लिए उपलब्ध है. गरुड़ सागा खिलाड़ियों को उनकी पसंद के हिसाब से रोल प्लेइंग गेम का अनुभव प्रदान करता है, जिसे खेलने की उनकी खास स्टाइल के हिसाब से बनाया गया है. कंपनी ने प्रेस रिलीज में जानकारी दी है कि, “समृद्ध भारतीय थीम्स से प्रेरणा लेकर खिलाड़ी गरुड़ की भूमिका निभाते हैं. भरोसेमंद तीरों के वार और बेजोड़ रफ्तार के साथ गरुड़ एक के बाद एक लेवल पर आगे बढ़ता जाता है, और अंत में मॉन्सटर यानी राक्षस पर जीत हासिल करता है और हर जीत के साथ नई स्किल्स भी हासिल करता जाता है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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