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सड़क हादसे में पंकज त्रिपाठी के जीजा की हुई मौत

बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर पंकज त्रिपाठी की फैमिली को लेकर एक खबर सामने आई है, जिसमें ये बताया गया है कि एक सड़क हादसे में पंकज त्रिपाठी के बहनोई की मौत हो गई है। वहीं उनकी बहन की हालत खराब बताई जा रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो पंकज त्रिपाठी के जीजा राजेश तिवारी और और सरिता तिवारी बिहार के गोपालगंज से वेस्ट बंगाल के लिए जा रहे थे। इसी दौरान ये दोनों हादसे का शिकार हो गए। आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं पंकज के बहनोई और बहन का एक्सीडेंट कहां हुआ और उनकी बहन अभी किस हाल में है?

पंकज त्रिपाठी की बहन की हालत गंभीर

शनिवार शाम करीब 4 बजे धनबाद जिले के निरसा चौक के समीप पंकज त्रिपाठी के जीजा राजेश तिवारी कार सड़क के डिवाइडर से टकरा गई। इसके बाद राजेश और सरिता को पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से कार से बाहर निकाला और आनन-फानन में दोनों को धनबाद मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टर्स ने राजेश को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन उनकी मौत हो गई। वहीं सरिता आईसीयू में एडमिट है। बता दें कि पंकज त्रिपाठी के बहनोई रेलवे कर्मचारी थे और उनकी पोस्टिंग चितरंजन स्टेशन में थी। Also Read – Mirzapur 3: वेब सीरीज के अनाउंसमेंट में दिव्येंदु को फैंस ने किया मिस, बोले- ‘नो मुन्ना भइया नो मिर्जापुर’

इस सीरीज में नजर आएंगे पंकज त्रिपाठी

बताते चलें कि पंकज त्रिपाठी की अपकमिंग क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज मिर्जापुर 3 का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यह वेब सीरीज अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होगी। पंकज के इस सीरीज के दोनों के पार्ट को लोगों ने काफी पसंद किया हैं। अब फैंस मिर्जापुर 3 के लिए काफी एक्साइटेड हैं। बता दें कि पंकज त्रिपाठी को हाल ही में फिल्म ‘मर्डर मुबारक’ में देखा गया था। इस मूवी में पंकज ने काफी अच्छी एक्टिंग की थी। इससे पहले पंकज त्रिपाठी की फिल्म ‘मैं अटल हूं’ रिलीज हुई थी, जिसे सभी ने दिल खोलकर प्यार दिया था। Also Read – Murder Mubarak Trailer: ‘मर्डर मुबारक’ का ट्रेलर रिलीज, फिल्म में मिलेगा क्राइम-मिस्ट्री-कॉमेडी का तगड़ा डोज

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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