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आज तक कोई सुपरस्टार तोड़ नहीं पाया गोविंदा 38 साल पुराना रिकॉर्ड

Govinda Signed 70 Films in One Time: 90 के दशक के सुपरस्टार गोविंद के स्टाइल का भी एक दौर हुआ करता था. अभिनेता अपने बेहतरीन अभिनय से लोगों के दिलों पर राज करते थे. गोविंदा अपने समय के टॉप एक्टर है. फिल्में हिट होने के लिए बस उनका नाम ही काफी था. फैंस उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते थे. वहीं बॉलीवुड के बड़े बड़े स्टार्स गोविंदा के नाम से डरते थे.  तो चलिए आज हम आपको अभिनेता से जुड़ा एक ऐसा किस्सा सुनाने जा रहे हैं, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. 

आज तक कोई तोड़ नहीं पाया गोविंदा का ये रिकॉर्ड
साल 1986 में आई फिल्म ‘लव 86’ से गोविंदा ने अपने करियर की शुरुआत की थी. उनकी ये फिल्म सुपरहिट रही और गोविंदा रातोंरात स्टार बन गएं. इसके बाद एक्टर के पास फिल्मों की लाइनें लग गईं.  गोविंदा ने एक साथ 70 से ज्यादा फिल्में साइन कर ली थीं. इस बात का खुलासा खुद एक्टर ने Lehren Retro को दिए एक इंटरव्यू में किया था. 

दरअसल, गोविंदा से पूछा गया था कि ‘वे एक दिन में कितनी फिल्मों की शूटिंग कर लेते हैं?’ इसके जबाव में गोविंदा ने कहा था कि ‘मैं कभी-कभी तो एक दिन में दो फिल्म की शूटिंग करता हूं. तो कभी 4-5 फिल्मों की शूटिंग भी कर लेता हूं. गोविंदा ने ये भी बताया था कि उन्हें फिल्मों की स्क्रिप्ट भी याद रहती है और वह आसानी अपनी फिल्मों के किरदार में ढल जाते हैं.

जब गोविंदा ने ठुकराई थी 100 करोड़ की फिल्में
गोविंदा ने अपने करियर में सौकड़ों फिल्में की हैं, लेकिन पिछले लंबे समय से वे बड़े पर्दे से गायब चल रहे हैं. वहीं पिछले साल 2023 में एक इंटरव्यू में गोविंदा ने बताया था कि उन्होंने करोड़ों रुपये के कई प्रोजेक्ट्स को ठुकरा दिया था.

फिर खुद को मारा थप्पड़
डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, गोविंदा ने कहा था ‘. मैंने पिछले साल 2023 में 100 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स को छोड़ दिए थे. ‘हांलाकि, मैंने शीशे के सामने अपने आप को थप्पड़ भी मारा कि मैं ये क्या कर रहा हूं.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘मैंने जो अपनी पुरानी फिल्मों में दमदार किरदार निभाए हैं, उस लेवल का रोल मुझे कुछ चाहिए.’


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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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