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गूगल ने खत्म किया अपने यूज़र्स का एक लंबा इंतजार, आंखों के लिए दिया खास गिफ्ट

Google Drive Dark Mode: डार्क मोड एक ऐसी चीज है, जिसका इस्तेमाल अब बहुत सारे यूज़र्स करने लगे हैं. यही कारण है कि दुनियाभर की टेक कंपनी अपने किसी भी प्रॉडक्ट में डार्क मोड की सुविधा जरूर देती है, लेकिन गूगल ड्राइव के वेब वर्ज़न में अभी तक डार्क मोड फीचर उपलब्ध नहीं था, जो कि एक हैरान करने वाली बात भी थी.

गूगल ड्राइव के वेब वर्ज़न में आया डार्क मोड

हालांकि, अब गूगल ने आखिरकार गूगल ड्राइव के वेब वर्ज़न के लिए भी डार्क मोड को रोलआउट करना शुरू कर दिया है. इस फीचर की डिमांड काफी ज्यादा थी. एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइस के गूगल ड्राइव ऐप्स में डार्क मोड काफी पहले से उपलब्ध करा दिया गया था, लेकिन वेब वर्ज़न में अभी तक लोग डार्क मोड का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे. गूगल ड्राइव के वेब वर्ज़न में डार्क मोड आने के बाद अब कंप्यूटर पर गूगल ड्राइव यूज़ करने वाले यूज़र्स की आंखों पर जोर नहीं पड़ेगा, और जिनकी आंखें कमजोर हैं, या जिन्हें स्क्रीन लाइट से दिक्कत होती है, सर में दर्द होता है, वो भी कंप्यूटर पर डार्क थीम वाली गूगल ड्राइव का इस्तेमाल कर सकते हैं.

इन स्टेप्स को करना होगा फॉलो

गूगल ने ड्राइव में ही आधिकारिक तौर पर डार्क मोड का ऐलान किया है. यूज़र्स को अपने गूगल ड्राइव के वेब वर्ज़न में डार्क मोड एक्टिवेट करने के लिए इस स्टेप्स – Drive > Settings > Appearance > Dark Mode को फॉलो करना होगा. यूज़र्स के वेब गूगल ड्राइव में डार्क मोड आने के बाद जब यूज़र्स पहली बार अपने कंप्यूटर में अपना गूगल ड्राइव खोलेंगे तो गूगल अपने आप उन्हें डार्क मोड का विकल्प दिखाएगा, और उनके वेलकम स्क्रीन पर स्विच करने के लिए प्रेरित करेगा. यूज़र्स डिवाइस डिफ़ॉल्ट के आधार पर थीम का चयन भी सेट कर सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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