टैकनोलजी

KBPS vs MBPS vs GBPS vs TBPS: इंटरनेट के ये टर्म के क्या हैं मायने, समझें क्या है अंतर

इंटरनेट (Internet) की दुनिया में केबीपीएस (KBPS), एमबीपीएस (MBPS), जीबीपीएस (GBPS), और टीबीपीएस (TBPS) इंटीग्रेटेड मापदंड हैं जिन्हें डेटा ट्रांसफर रेट (डेटा की गति) को स्पेसिफाइड करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इन यूनिट्स का अंतर मूल रूप से उनके गुणवत्ता और डेटा ट्रांसफर क्षमता के स्तर में होता है.

केबीपीएस (Kilobits per second)

किलोबाइट्स पर सेकेंड यानी KBPS (Kilobits per second) में डेटा ट्रांसफर रेट को किलोबिट (Kbps) प्रति सेकंड में मापा जाता है. 1 Kbps का मतलब 1,000 बिट्स प्रति सेकंड होता है. यह छोटी से मध्यम स्तर की गति होती है और आम तौर पर इंटरनेट (Internet)  कनेक्शन की गति को निर्दिष्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

एमबीपीएस (Megabits per second)

मेगाबाइट्स पर सेकेंड यानी MBPS (Megabits per second) में डेटा ट्रांसफर रेट को मेगाबिट (Mbps) प्रति सेकंड में मापा जाता है. 1 Mbps का मतलब 1,000 Kbps या 1,000,000 बिट्स प्रति सेकंड होता है. MBPS उच्चतम गति के लिए उपयुक्त होता है, और आम तौर पर साधारण इंटरनेट कनेक्शन की गति को निर्दिष्ट करने में इस्तेमाल किया जाता है.

जीबीपीएस (Gigabits per second)

गीगाबाइट्स पर सेकेंड GBPS (Gigabits per second) में डेटा ट्रांसफर रेट को गिगाबिट (Gbps) प्रति सेकंड में मापा जाता है. 1 Gbps का मतलब 1,000 Mbps या 1,000,000 Kbps या 1,000,000,000 बिट्स प्रति सेकंड होता है. GBPS उच्चतम गति के लिए उपयुक्त होता है, और उच्च गति इंटरनेट कनेक्शन, डेटा सेंटर, और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रयोग किया जाता है.

टीबीपीएस (Terabits per second)

टेराबाइट्स पर सेकेंड TBPS (Terabits per second) में डेटा ट्रांसफर रेट को टेराबिट (Tbps) प्रति सेकंड में मापा जाता है. 1 Tbps का मतलब 1,000 Gbps या 1,000,000 Mbps या 1,000,000,000 Kbps या 1,000,000,000,000 बिट्स प्रति सेकंड होता है. TBPS बहुत अधिक गति को निर्दिष्ट करता है और उपयुक्त बड़े और उच्च क्षमता वाले नेटवर्क्स में प्रयोग किया जाता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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