टैकनोलजी

Google बदलेगा Gmail की पॉलिसी, अप्रैल 2024 से कम होगी फालतू ईमेल्स की संख्या

Gmail Policy: गूगल की ईमेल सर्विस यानी Gmail का इस्तेमाल करने वाले यूज़र्स अक्सर स्पैम मेल से काफी परेशान रहते हैं. जीमेल के इनबॉक्स में हजारों स्पैम मेल भर जाते हैं, जिनका यूज़र्स को कोई काम नहीं होता और वो आसानी से डिलीट भी नहीं होते हैं. ऐसे में यूजर्स के लिए जीमेल ने अपनी स्पैम पॉलिसी को अपडेट किया है. जीमेल की इस नई पॉलिसी की वजह से यूजर्स को आने वाले स्पैम मैसेजों में कमी आएगी. गूगल अप्रैल 2024 से धीरे-धीरे इस नीति को लागू करने जा रहा है, जिसकी वजह से उन मार्केटिंग एजेंसियों पर सीधा असर पड़ेगा जो सर्विस या प्रॉडक्ट का प्रचार करने के लिए सीधा इमेल्स भेजती हैं.

जीमेल की नई पॉलिसी

यह घोषणा गूगल ने अपने ईमेल सेंडर गाइडलाइन्स FAQ में की थी. जीमेल अब उन सेंडर्स के ईमेल को प्रमाणित करेगा जो प्रतिदिन 5000 से अधिक ईमेल भेजते हैं. कंपनी यूजर्स के लिए न्यूज़लेटर्स, प्रमोशन आदि से मेंबरशिप समाप्त करना भी आसान बनाना चाहती है, जिसकी वजह से इनबॉक्स में इमेल्स की बाढ़ आ जाती है. 

नए नियमों के तहत, बल्क सेंडर्स के ईमेल को जीमेल के सेंडर्स गाइडलाइन्स के अनुसार प्रमाणित किया जाएगा. अगर कोई सेंडर बड़ी संख्या में गैर-जरूरी ईमेल भेजता पाया जाता है, तो उन ईमेल का एक हिस्सा जीमेल द्वारा रिजेक्ट कर दिया जाएगा. गूगल ने स्पैम को फ़िल्टर करने के लिए प्रतिशत को स्पेसिफाई नहीं किया है, लेकिन कंपनी ने बल्क सेंडर्स को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि वे अपनी स्पैम रेट पर नज़र रखें.

जीमेल यूजर्स को मिलेगी नई सुविधा

जब यूज़र किसी खास सेंडर के ईमेल्स को नज़रअंदाज़ करेंगे तो जीमेल को इसका पता चल जाएगा. इस डेटा का उपयोग करके कंपनी इस चीज की निगरानी करेगी कि कौनसे बल्क सेंडर्स गैर-जरूरी इमेल्स भेजते हैं. अभी तक जीमेल सिर्फ यूज़र्स को सिर्फ सेंडर्स को अनसब्क्राइब करने का सुझाव दे रहा था, लेकिन अब जीमेल की नई पॉलिसी ऐसे फालतू ईमेल्स को अपने इनबॉक्स में आने ही नहीं देगी.

यह भी पढ़ें: WhatsApp में आया बेहद जरूरी फीचर, अब यूज़र्स के साथ आसानी से नहीं होगी लाखों-करोड़ों की ठगी

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button