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पवन सिंह के नए गाने ने आरा से लेकर बलिया तक मचाया धमाल, चंद दिनों में मिले इतने व्यूज | Bollywood Life हिंदी

भोजपुरी स्टार पवन सिंह इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं। भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह ने कई बार मीडिया से बातचीत के दौरान ये बताया है कि वो इस बार चुनाव लड़ने वाले हैं। हालांकि अभी तक ये नहीं पता चला है कि वो किस सीट से अपनी दावेदारी पेश करेंगे। बाकी भोजपुरी स्टार्स की तरह पवन सिंह भी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं। इस बीच भोजपुरी के स्टार सिंगर पवन सिंह का नया गाना सामने आया है, जिसे आरा जिला से लेकर बलिया तक के लोग दिल खोलकर प्यार दे रहे हैं। आइए आपको बताते हैं पवन सिंह के नए गाने के बारे में…

पवन सिंह का नया गाना आरा बलिया छपरा’ हुआ रिलीज

भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार पवन सिंह का नया गाना ‘आरा बलिया छपरा’ कुछ दिनों पहले रिलीज हुआ है। इस गाने में पवन सिंह के साथ एक्ट्रेस ऋतु सिंह नजर आ रही हैं। गाने में दोनों का अंदाज फैंस को काफी पसंद आ रहा है। आरा बलिया छपरा’ गाने को पवन सिंह ने भोजपुरी की चर्चित सिंगर अनुपमा यादव के साथ मिलकर गया है। इस नए सॉन्ग को लोग काफी प्यार दे रहे हैं। यही वजह है कि ‘आरा बलिया छपरा’ को चंद दिनों में ही 6 मिलियन से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। ‘आरा बलिया छपरा’ गाने में म्‍यूजिक शुभम राज ने दिया है। वहीं इसके बोल विनय बिहारी ने लिखे हैं। Also Read – Lal Ghagra Song: 2024 में भी चला पवन सिंह के इस गाने का जादू, यूट्यूब पर ‘लाल घाघरा’ ने पार किया 300 मिलियन का आंकड़ा

यहां देखें पवन सिंह के नए गाने का वीडियो:

लाल घाघरा सॉन्ग ने मचाया तहलका

बताते चलें कि पवन सिंह और नम्रता मल्ला के गाने लाल घाघरा ने यूट्यूब पर सारे रिकॉर्ड्स तोड़ डाले हैं। इस सॉन्ग को अबतक 300 मिलियन व्यूज मिल चुके हैं। गाने में पवन सिंह और नम्रता मल्ला जमकर रोमांस कर रहे हैं। पवन सिंह और नम्रता मल्ला का ये गाना हमेशा ट्रेंड में बना रहता है। Also Read – भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने मोनालिसा संग किया ऐसा रोमांस, तंग आकर एक्ट्रेस बोलीं- ‘मुआई दिहला राजाजी’

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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