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सुपरस्टार पापा के फ्लॉप बेटे साबित हुए महाअक्षय, काम से ज्यादा विवाद में आया नाम

Mahaakshay Chakraborty Unknown Facts: अपने जमाने के दिग्गज कलाकारों में शुमार मिथुन चक्रवर्ती ने सफलता की तमाम सीढ़ियां चढ़ीं, लेकिन उनके बेटे महाअक्षय चक्रवर्ती यानी मिमोह चक्रवर्ती अपने पिता जितनी कामयाबी हासिल नहीं कर सके. यहां तक कि नाम बदलना भी उनके काम नहीं आया. बर्थडे स्पेशल में हम आपको महाअक्षय की जिंदगी के चंद किस्सों से रूबरू करा रहे हैं. 

पापा का नाम महाअक्षय के नहीं आया काम

30 जुलाई 1984 के दिन मुंबई में मिथुन चक्रवर्ती और योगिता बाली के घर जन्मे महाअक्षय का असली नाम मिमोह चक्रवर्ती है. फिल्मी दुनिया में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मिमोह के नाम से की थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिलने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल लिया था. बता दें कि महाअक्षय को एक्टिंग का ककहरा बचपन से ही सीखने को मिलने लगा था. उनके पापा मिथुन अपने जमाने के सुपरस्टार रहे तो मां योगिता बाली ने भी तमाम फिल्मों में अपनी अदाकारी के जलवे दिखाए थे. 

ऐसा रहा महाअक्षय का करियर

बता दें कि महाअक्षय ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म जिम्मी से की थी, लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही. इसके बाद वह हॉन्टेड 3डी में नजर आए, जिससे महाअक्षय ने सफलता का स्वाद चखा. महाअक्षय ने फिल्म लूट, रॉकी, एनिमी, इश्केदारियां, होली स्मोक, तुक्का फिट, अब मुझे उड़ना है, मैं मुलायम सिंह यादव, रोष, जोगिरा सारा रा रा आदि फिल्मों में भी काम किया है.

बता दें कि महाअक्षय नेपोटिज्म पर भी बयान दे चुके हैं. उनका कहना था कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म का नाम-ओ-निशान नहीं है. अगर ऐसा होता तो उन्हें फिल्मों की कमी नहीं होती. उन्होंने बताया था कि स्टारकिड्स को भी ऑडिशन देना पड़ता है, जिसके बाद उन्हें फिल्म में काम मिलता है.

विवादों में भी फंस चुके महाअक्षय

बता दें कि काम से ज्यादा महाअक्षय का नाम विवाद की वजह से चर्चा में रहा. दरअसल, मुंबई की जानी-मानी मॉडल ने महाअक्षय पर शादी का झांसा देकर रेप करने और जबर्दस्ती गर्भपात कराने का आरोप लगाया था. इस मामले में महाअक्षय पर केस भी दर्ज हुआ था. वहीं, मॉडल ने मिथुन की पत्नी और महाअक्षय की मां एक्ट्रेस योगिता बाली पर भी जान से मरवाने की धमकी देने की शिकायत दर्ज कराई थी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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