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चार्जिंग में लगे स्मार्टफोन को लेकर हैं लापरवाह! जानें इस दौरान क्या करें और क्या न करें

स्मार्टफोन जब चार्जिंग (smartphone charging) में लगा हो तो कई लोग इस समय में लापरवाही बरतते हैं. इस वजह से कई बार हैंडसेट काफी हीट हो जाता है या कुछ दूसरी परेशानियां भी आ सकती हैं. स्मार्टफोन (smartphone) चार्ज में लगा होने पर कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है ताकि आपके फोन को किसी तरह का कोई नुकसान न हो और आपका डिवाइस सुरक्षित रहे. 

इन बातों को कर लें नोट

 अधिक गर्मी से बचें: ज्यादा गर्मी फोन के बैटरी के लिए हानिकारक हो सकती है. जब आप फोन को चार्ज में लगा रहें हैं, तो सुनिश्चित करें कि उसे अधिक गर्मी से बचाएं, जैसे कि धूप या गर्मियों में रखने से बचें.

मौजूदा चार्जर का इस्तेमाल करें: अपने फोन के लिए सामान्यतः उपयुक्त और मौजूदा चार्जर का ही उपयोग करें. दूसरे थर्ड पार्टी या नॉन-स्टैंडर्ड चार्जर का इस्तेमाल करने से फोन और बैटरी को नुकसान हो सकता है.

ओरिजिनल चार्जर: समझें कि ऑरिजिनल और सर्टिफाइड चार्जर ही फोन के लिए सुरक्षित और सामान्यतः उपयुक्त होते हैं. कंपनी द्वारा प्रमाणित चार्जर (smartphone Charger) का ही उपयोग करें और चीनी या नकली चार्जर से बचें.

ऑवरचार्जिंग से बचें: जितनी जल्दी हो सके, फोन को चार्ज से हटा दें जब उसकी बैटरी 100% तक चार्ज (smartphone charging) हो जाए. लंबे समय तक चार्ज पर रहने से फोन के बैटरी को नुकसान हो सकता है.

चार्जिंग केबल की जांच करें: रोज़ाना उपयोग के दौरान केबल में तोड़-फोड़ आदि हो सकती हैं, इसलिए विशेष रूप से केबल की जांच करें और किसी डैमेज के लिए उसे बदलें.

ओवरनाइट चार्जिंग से बचें: रातभर फोन को चार्ज पर रखने से बचें, क्योंकि इससे फोन की बैटरी पर दबाव पड़ सकता है और बैटरी को नुकसान हो सकता है.

फोन का ध्यान रखें: जब फोन चार्ज में होता है, तो ध्यान रखें कि वह ठीक ढंग से चार्ज हो रहा हो और गर्म न हो रहा हो. यदि कुछ गड़बड़ होती है, तो उसे तुरंत चार्ज से हटा दें.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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