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वॉट्सएप ने शुरू किया ‘Stay Safe with WhatsApp’, क्या आप इन सेफ्टी फीचर्स के बारे में जानते हैं?

Stay Safe with WhatsApp : मेटा के स्वामित्व वाले लोकप्रिय इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफार्म वॉट्सएप ने एक नया यूजर सेफ्टी अभियान शुरू किया है, जो यूजर्स को अपनी ऑनलाइन सिक्योरिटी कंट्रोल और सुरक्षित मैसेज अनुभव के लिए भरोसा दिलाता है. अभियान यूजर्स को वॉट्सएप के इन-बिल्ट प्रोडक्ट फीचर्स और सुरक्षा टूल्स के बारे में लोगों को शिक्षित करता है. इससे लोगों को ऑनलाइन घोटालों, धोखाधड़ी और अकाउंट से छेड़छाड़ के खतरों से बचने में मदद मिलेगी. ये अभियान तीन महीनों तक चलने वाला है. 

वॉट्सएप अभियान में हाइलाइट किए गए मुख्य सेफ्टी फीचर्स

टू-स्टेप वेरिफिकेशन

वॉट्सएप यूजर्स को टू-स्टेप वेरिफिकेशन फीचर को एक्टिव करके अपने अकाउंट में सुरक्षा की एक एक्स्ट्रा लेयर जोड़ने की अनुमति देता है, जिसके लिए आपके वॉट्सएप अकाउंट को रीसेट और वेरिफाई करते समय छह अंकों के पिन की आवश्यकता होती है. सिम कार्ड चोरी हो जाने या फोन के साथ छेड़छाड़ होने की स्थिति में यह मददगार साबित होता है.

ब्लॉक और रिपोर्ट

मेटा के स्वामित्व वाला इस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफार्म यूजर्स को  अकाउंट को ‘ब्लॉक और रिपोर्ट’ करने का एक सरल तरीका भी देता करता है. ब्लॉक कॉन्टैक्ट या नंबर आपको कॉल या मैसेज नहीं भेज सकते हैं. 

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प्रेवेसी सेटिंग्स

यूजर्स अपनी पर्सनल डिटेल्स को कंट्रोल कर सकते हैं जैसे – प्रोफाइल फोटो, लास्ट सीन, ऑनलाइन एक्टिविटी, अबाउट, स्टेटस. इसके साथ ही यह भी कंट्रोल कर सकते हैं कि इसे कौन देखता है – हर कोई, केवल संपर्क, चुनिंदा संपर्क, या कोई नहीं. अगर आप अपनी ऑनलाइन डिटेल को निजी रखना चाहते हैं, तो आप ऑनलाइन होने पर कौन देख सकता है और कौन नहीं देख सकता है, यह चुनकर आप अपनी ऑनलाइन डिटेल को कंट्रोल कर सकते हैं.

ग्रुप के लिए सेफ्टी फीचर

यूजर्स यह भी तय कर सकते हैं कि उन्हें वॉट्सएप ग्रुप में कौन जोड़ सकता है, इस प्रकार आपकी प्राइवेसी बढ़ जाती है. आप लोगों को उन ग्रुप में जोड़ने से रोक सकते हैं, जिनका आप हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं. इसके साथ ही, अब यूजर्स चुपके से ग्रुप लेफ्ट भी कर सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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