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Bluetooth से भी रखते हैं नजर, आप तो नहीं किसी के निशाने पर, इन आसान तरीकों से करें पहचान

Bluetooth Spy : Google ने एंड्रॉइड 6.0+ ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित डिवाइसेज के लिए एक कमाल का फीचर रोलआउट किया है. यह अननोन ट्रैकर अलर्ट फीचर है. इसे यूजर्स को लिए रोलआउट करना शुरू कर दिया गया है. इसकी घोषणा Google I/O 2023 में की गई थी. यह फीचर Google और Apple द्वारा प्रस्तावित नए ड्राफ्ट इंडस्ट्री स्पेसिफिकेशन के तहत पेश किया गया है जिसमें कहा गया था कि कैसे ब्लूटूथ ट्रैकर निर्माता सुरक्षित ट्रैकर विकसित कर सकते हैं. यह एंड्रॉइड और iOS प्लेटफार्म्स पर अनवॉन्टेड ट्रैकिंग की पहचान कर सकता है और उसके बारे में यूजर्स को अलर्ट कर सकता है.

Android Unknown Tracker Alert फीचर क्या है?

यह एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम की नई सर्विस है जो एंड्रॉइड 6.0 और इसके बाद के वर्जन पर आधारित है. यह फीचर स्मार्टफोन को यह निर्धारित करने की अनुमति देती है कि क्या स्मार्टफोन पर किसी अननोन ब्लूटूथ ट्रैकर लगाया गया है या नहीं. यह यूजर्स की प्राइवेसी और सिक्योरिटी को ध्यान में रखकर पेश किया गया है. इसके जरिए यूजर्स अज्ञात ब्लूटूथ ट्रैकर्स को पहचानने, पता लगाने और डिसेबल करने में सक्षम होंगे.

यह कैसे काम करता है

  • अननोन ट्रैकर अलर्ट फीचर एंड्रॉइड यूडर्स को ऑटोमैटिकली नोटिफाई करेगा कि कहीं उनकी डिवाइस में कोई अननोन ट्रैकर तो नहीं है. यह फीचर एप्पल एयरटैग्स समेत कई अन्य ट्रैकर्स के साथ काम करता है जो गूगल फाइंड माई डिवाइस नेटवर्क के साथ कंपेटिबल है.
  • इसके अलावा एंड्रॉइड यूजर्स मैनुअली भी स्कैन कर सकते हैं जिसके जरिए ब्लूटूथ ट्रैकर्स का पता लगाया जा सकता है. इसके लिए आपको फोन की सेटिंग्स पर जाकर Safety and Emergency विकल्प पर जाना होगा.
  • यूजर्स मैप पर डिवाइस को देख पाएंगे. यहां से यह पता चलेगा कि डिवाइस कहां हैं और उसे ढूंढने में मदद मिलेगी. साथ ही ट्रैकर के जरिए साउंड भी प्ले किया जा सकेगा. डिवाइस ढूंढने के लिए अलावा यह फीचर यूजर्स को ट्रैकर को फिजिकल रूप से डिसेबल करने की भी अनुमति देगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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