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Twitter से गायब हुआ भारत की प्रमुख न्यूज एजेंसी ANI का अकाउंट, वापस आने में लगेगा इतना समय

News Agency ANI Twitter Locked: भारत की सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी एएनआई का ट्विटर अकाउंट कंपनी ने ब्लॉक कर दिया है. इस बात की जानकारी एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश ने एक ट्वीट के जरिए दी है. एएनआई के ट्विटर पर 76 लाख फॉलोवर्स हैं और ये भारत का सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाला न्यूज एजेंसी का टि्वटर हैंडल है. दरअसल, ट्विटर ने एएनआई का अकाउंट ब्लॉक करते हुए ये वजह बताई कि ANI का अकाउंट ऐज रिस्ट्रिक्शंस के तहत आता है और ये 13 साल से छोटा है.

फिलहाल ऐसे मिलेगी देश-विदेश की नई अपडेट

ANI का मेन ट्विटर हैंडल ब्लॉक हो जाने के बाद स्मिता प्रकाश ने एक ट्वीट कर जानकारी दी कि जब तक ANI का अकाउंट रिकवर नहीं हो जाता तब तक देश-विदेश में होने वाली तमाम गतिविधियों की अपडेट लोगों को ‘एएनआई डिजिटल’ और ‘एहिंदीन्यूज़’ ट्विटर हैंडल के माध्यम से मिल पाएगी. एएनआई के अलावा एनडीटीवी का भी ट्विटर अकाउंट प्लेटफार्म से ब्लॉक हो चुका है. अकाउंट के रिस्टोर होने 24 घंटे या इससे ज्यादा का समय लग सकता है. रिस्टोर करने के लिए ANI को सभी जानकारी ट्विटर को भेजनी होगी. एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश ने बताया कि एएनआई के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने से पहले एलन मस्क की कंपनी ने एएनआई के अकाउंट से गोल्ड चेक मार्क हटाकर इसके बदले ब्लू टिक कंपनी को दिया था. अब ट्विटर ने अकाउंट को बंद कर दिया है.

 ट्विटर को एलन मस्क के द्वारा खरीद जाने के बाद प्लेटफार्म पर अब तक ऐसे वाकया हो चुके हैं जो लोगों को समझ नहीं आ रह हैं. कुछ समय पहले ट्विटर ने लिगेसी चैकमार्क अकाउंट से हटा दिए थे. लेकिन फिर अचानक कुछ लोगों को इसे लौटा दिया गया. इस दौरान कुछ ऐसे अकाउंट पर भी ब्लू चेकमार्क कंपनी ने लगा दिया जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. एलन मस्क ने ट्विटर पर कई ऐसे बदलाव अब तक कर दिए हैं जो लोगों के समझ नहीं आ रहे हैं. 

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पैसे देकर मिलता है ब्लू टिक

अब ट्विटर पर ब्लू टिक नोटेबल होने के बजाय पैसे देकर मिलता है. ट्विटर ब्लू के लिए वेब यूजर्स को 650 रुपये और IOS और एंड्रॉइड यूजर्स को 900 रुपये का भुगतान हर महीने कंपनी को करना होता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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