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Internet पर सबसे पहली फोटो क्या थी? यहां जानिए जवाब

First Photo on Internet: इंटरनेट आज हम सभी की लाइफलाइन बन चुका है. इसके जरिए काम-काज, रिश्ते और सबकुछ एकदम आसान हो गया है. आज हम एक क्लिक पर सात समुद्र पार बैठे घर के रिश्तेदार से जुड़ सकते हैं और घर से दफ्तर के बड़े-बड़े डिसीजन ले सकते हैं. खैर हम इंटरनेट पर आज बात नहीं करेंगे. आज हम आपको ये बताने वाले हैं कि इंटरनेट पर पहली फोटो कौन-सी थी और इसे किसने अपलोड किया था. क्या ये एक औरत की थी? क्या ये एक आदमी की थी या जानवर? जानिए इस बारे में.

ये थी दुनिया की पहली फोटो

इंटनरेट पर जो पहली फोटो अपलोड की गई थी वो एक बैंड ग्रुप की थी जो Les Horribles Cernettes के नाम से जाना जाता था जिसे CERN के कुछ एम्पलॉइज ने बनाया था. इस फोटो को Berners-Lee ने इंटरनेट पर अपलोड किया था जिसमें 4 महिलाएं थी. Berners-Lee वहीं शख्स हैं जिन्होंने 1989 में वर्ल्ड वाइड वेब की खोज की थी. उन्होंने CERN में काम करते-करते Next कम्प्यूटर के जरिए WWW का कोड लिखा था. तब इसका उदेश्य नॉलेज को एक-दूसरे तक पहुंचना था.

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Les Horribles Cernettes बैंड ग्रुप में केवल महिलाएं थी जो पॉप, Doo-Wop, कॉमेडी, फोक सांग आदि गाती थी. ये बैंड 2012 तक एक्टिव था जो अब बंद हो चुका है.

हर मिनट इंटरनेट पर हो रहा ये सब

डाटा नेवर स्लीप्स की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट के जरिए 60 सेकंड में गूगल पर लगभग 60 लाख चीजें सर्च की जाती हैं. ट्विटर पर 60 सेकंड में 3,47,222 ट्वीट, मोबाइल से 16 मिलियन मैसेज और करीब 23 करोड़ 14 लाख 58 हजार 333 ई-मेल, यूट्यूब पर 500 घंटे का कंटेंट अपलोड, इंस्टाग्राम पर 65,972 फोटो और वीडियो अपलोड, ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेजन से लोग 3,592 करोड़ की शॉपिंग एक मिनट में कर लेते हैं. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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