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Heeramandi: The Diamond Bazaar Review: पाक तवायफों की धांसू कहानी, भंसाली ने दिखाई कोठो की रंगीन दुनिया

Heeramandi: The Diamond Bazaar Review: लंबे इंतजार के बाद निर्देशक संजय लीला भंसाली की पहली वेब सीरीज ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ आ गई है। 1 मई यानी बुधवार के दिन ये धमाकेदार वेब सीरीज ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है। संजय लीला भंसाली की सीरीज में आजादी से पहले के भारत के उस हिस्से की कहानी को दिखाया गया है, जिसे आज पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान की तवायफों पर बनी इस सीरीज में ढेर सारा प्यार, पावर और विश्वासघात दिखाया गया है। ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ के जरिए संजय लीला भंसाली ने ओटीटी की दुनिया में कदम रखा है और इसी वजह से दर्शकों को निर्देशक से काफी ज्यादा उम्मीदें थीं। अब वह इस उम्मीद पर उतर पाएं या नहीं? आइए आपको सीरीज के रिव्यू के साथ बताते हैं। Also Read – ‘इनको देख-देखकर लोग परेशान हैं’, शेखर सुमन ने यंग एक्टर्स पर कसा तंज

‘हीरामंडी: डायमंड बाजार’ का आखिर मतलब क्या है?

संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी वेब सीरीज हीरामंडी में आप लोगों को ब्रिटिश राज के लाहौर के रेड-लाइट एरिया का नजारा देखने के लिए मिलेगा। यहां पर वेश्याएं सिर्फ लोगों को एंटरटेन करने का महज एक जरिया नहीं होती हैं। वह उस क्षेत्र की रानी कहलाती हैं। इस सीरीज की कहानी मल्लिकाजान (मनीषा कोइराला) और फरदीन (सोनाक्षी सिन्हा) के इर्द-गिर्द घूम रही है। दोनों के बीच कट्टर दुश्मनी है और दोनों ही हीरामंडी पर अपना राज चलाना चाहती हैं। सत्ता की लड़ाई की इस कहानी में नया मोड़ तब आता है, जब मल्लिकाजान की छोटी बेटी आलम (शर्मिन सहगल) सामने आती है। Also Read – Today Entertainment News: संजय दत्त ने फैन को दिया धक्का, ‘हीरामंडी’ का नया गाना ‘आजादी’ हुआ रिलीज

‘हीरामंडी’ में क्या-क्या है खास

इस वेब सीरीज में संजय लीला भंसाली ने कई सारे कलाकारों को जोड़ा है, लेकिन सीरीज की जान मनीषा कोइराला और सोनाक्षी सिन्हा बनी हैं। मनीषा कोइराला ने ‘मल्लिकाजान’ के रोल में कमाल की एक्टिंग की है। वह अपने रोल की हर बारीकी को समझती हुई दिखी है। मनीषा की एक्टिंग ने दर्शकों को कई बार मल्लिकाजान के रोल से प्यार करने पर मजबूर किया है। दूसरी तरफ है सोनाक्षी सिन्हा, जो फरदीन के रोल में कमाल की लगीं। सोनाक्षी अपनी उम्दा एक्टिंग से दर्शकों को एक्साइटेड करने का काम करती हैं। सीरीज में बाकी कलाकार भी शानदार काम करते दिखे। आदिति राव हैदरी के रोल का नाम बिब्बो है, जो सीरीज में एक भोली भाली वैश्या बनी हैं और लज्जो के रोल में ऋचा चड्ढा आपका ध्यान खींच लेंगी। उनकी चालबाजी दर्शकों को उनके रोल से नफरत करने पर मजबूर कर देती है। इस सीरीज में फरदीन खान, शेखर सुमन, अध्ययन सुमन भी हैं, लेकिन एक्ट्रेसेस के आगे इन एक्टर्स के पास करने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं। Also Read – ‘हीरामंडी’ प्रीमियर पर स्वैग से पहुंचे सलमान खान, खत्म हुई संजय लीला भंसाली से नाराजगी?

भव्य सेट ने सीरीज को फूंकी जान

भंसाली की फिल्मों में भव्य सेट का अलग ही नजारा होता है और इसकी झलक सीरीज में भी देखने के लिए मिली है। हीरामंडी का सेट और कलाकार की ड्रेसेस शानदार है, जो कहानी में चार चांद लगाने का काम करती है। अब तक ओटीटी पर कम बजट वाली फिल्में और सीरीज बनी है, लेकिन भंसाली की इस सीरीज ने ओटीटी को भी बड़े बजट में फिट करने की कोशिश की है।

हीरामंडी में क्या नहीं है खास

संजय लीला भंसाली की पहली वेब सीरीज हीरामंडी बेशक शानदार है, जिसकी कहानी और भव्य सेट आपका ध्यान खींचकर रखेंगी। हालांकि, सीरीज की लंबाई इसे थोड़ा बोरिंग बनाने का काम करती है। वेब सीरीज लंबी होने की वजह से थोड़ी सुस्त लगती है।

क्या है बीएल का वर्डिक्ट?

वेब सीरीज हीरामंडी: द डायमंड बाजार संजय लीला भंसाली की शानदार कोशिश है, जो पीरियड ड्रामा फिल्मों में हमेशा याद रखी जाएगी। इस सीरीज में शानदार कहानी, कलाकार की एक्टिंग, भव्य सेट आपका ध्यान खींचे रखेगी। खुल मिलकर संजय लीला भंसाली की यह सीरीज बेशक थोड़ी लंबी है लेकिन अच्छी कहानी के लिए इसे आसानी से बर्दाश्त किया जा सकता है। बॉलीवुड लाइफ सीरीज ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ को 4.5 स्टार देता है।

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  • ByKavita
  • Published: May 1, 2024 3:24 PM IST

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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