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बांग्लादेश में मची शाहरुख की ‘पठान’ की धूम, सिनेमाघरों में ‘झूमे जो पठान’ पर नाची ऑडियन्स

Shah Rukh Khan Fans Dancing On Cinema Hall: शाहरुख खान की फैन फॉलोइंग किसी से छिपी नहीं है. पठान की रिलीज के बाद शाहरुख खान की दमदार वापसी दर्शकों के बीच ऐसी गूंजी की इसकी धमक आज भी लोगों के कान में गूंज रही है. यह बात आप सभी अच्छे से जानते हैं कि 12 मई को शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) की फिल्म बांग्लादेश में भी रिलीज की जा चुकी है. ऐसे में शाहरुख खान के बांग्लादेशी फैंस उनकी फिल्म देखने के लिए काफी एक्साइटेड नजर आ रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पहले 2 दिन की एडवांस बुकिंग फुल हो चुकी है. साथ ही दर्शकों को भी किंग खान की यह फिल्म धुआंधार लगी है.

‘झूमे जो पठान’ पर झूम उठे पठान के फैंस 
हम आपके लिए बांग्लादेशी सिनेमा हॉल का वह नजारा लेकर आए हैं जो पठान (Pathaan) की रिलीज के बाद सोशल मीडिया पर छाया नजर आ रहा है. शाहरुख खान के फैन पेज ने इंस्टाग्राम और ट्विटर पर कई वीडियो साझा किए हैं. जहां उनके चाहने वाले उनके सुपरहिट गाने झूमे जो पठान पर सिनेमा हॉल में नाचते दिखाई दे रहे हैं. शाहरुख खान की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धुआंधार कलेक्शन इकट्ठा कर रही है. बांग्लादेशी फैंस पर पठान का भूत सवार नजर आ रहा है.

बांग्लादेश में भी छाए दिखे शाहरुख खान 
बीते दिन से पठान का क्रेज बांग्लादेश में भी देखने को मिल रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शाहरुख की पठान को बांग्लादेश के 41 सिनेमा हॉल में दिखाया जा रहा है, साथ ही 1 दिन में 198 शो शेड्यूल किए जा चुके हैं. पठान की फिल्म की प्री बुकिंग ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2 दिन तक सिनेमाघरों को पूरी तरह भर डाला है.

शाहरुख खान की फिल्म पठान में धुआंधार एक्शन तो देखने को मिला ही है साथ ही साथ दीपिका का बॉस लेडी और जॉन अब्राहम का एक्शन हीरो वाला अवतार ने दर्शकों के दिलों को घायल कर दिया है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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