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सबसे बेकार रहा ‘सेल्फी’ का 9वेंदिन का कलेक्शन! अक्षय कुमार की फिल्म ने किया बस इतना बिजनेस

Selfiee Box Office Collection Day 9: ‘सेल्फी’ इस साल की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक मानी जा रही है. फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर बुरा हाल हुआ. वीक डेज में तो बुरा हाल रहा ही, वीकेंड्स पर भी फिल्म ऑडियंस को अपनी ओर खींच नहीं पाई. ये बॉक्स ऑफिस पर आंधे मुंह गिर गई है. 8वें दिन का कलेक्शन वैसे ही बहुत निराशाजनक था, अब 9वें दिन का बिजनेस जानकर झटका लगेगा.

‘सेल्फी’ का कलेक्शन

रिपोर्ट्स की माने तो बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की फिल्म ‘सेल्फी’ ने 9वें दिन सिर्फ 0.5 करोड़ रुपये का बिजनेस किया है. ये अब तक की सबसे कम कमाई वाला दिन रहा. कुल मिलाकर पूरे 9 दिन में फिल्म ने सिर्फ 15.52 करोड़ रुपये का बिजनेस किया है. अक्षय कुमार की लगातार फ्लॉप फिल्मों में ‘सेल्फी’ ने भी अपनी जगह बना ली है. मेकर्स और अक्षय को इससे काफी उम्मीद थी, लेकिन सबसे बड़ी डिजास्टर बन गई.

‘सेल्फी’ की कहानी

राज मेहता (Raj Mehta) के निर्देशन में बनी ‘सेल्फी’ मलयालम फिल्म ‘ड्राइविंग लाइसेंस’ (Driving License) की हिंदी रीमेक है. अक्षय कुमार एक सुपरस्टार का किरदार निभा रहे हैं, जबकि इमरान हाशमी (Imran Hashmi) उनके फैन और आरटीओ ऑफिसर बने हैं. फिल्म की कहानी एक ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के बदले सेल्फी लेने पर शुरू हुई अक्षय और इमरान हाशमी के बीच हुई टशन पर बेस्ड है.

‘सेल्फी’ की स्टार कास्ट

अक्षय कुमार और इमरान हाशमी के अलावा फिल्म में डायना पेंटी (Diana Penty), नुसरत भरूचा (Nushrratt Bharuccha), अदा शर्मा (Adah Sharma) जैसे बॉलीवुड सितारे हैं. फिल्म को बनाने में 150 करोड़ रुपये का खर्च आया था. हालांकि, जिस तरह इसकी कमाई हुई, प्रोड्यूसर्स से लेकर डायरेक्टर तक को जबरदस्त झटका लगा है.

अक्षय कुमार की फ्लॉप फिल्में

‘सेल्फी’ से पहले अक्षय कुमार की कई फिल्में फ्लॉप हुईं, जिसमें ‘रक्षाबंधन’, ‘बच्चन पांडे’, ‘सम्राट पृथ्वीराज’, ‘रामसेतु’ जैसी मूवी थीं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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