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मंडे को बॉक्स ऑफिस पर थमने लगी ‘सैम बहादुर’ की सांसे! 18वें दिन करेगी अब तक का सबसे कम कलेक्शन?

Sam Bahadur Box Office Collection Day 18: विक्की कौशल की बायोग्रफिकल फिल्म ‘सैम बहादुर’ 1 दिसंबर को थिएटर्स में रिलीज हुई थी. फिल्म को रिलीज हुए अब 18 दिन हो गए हैं. रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ के साथ बॉक्स ऑफिस पर क्लैश होने के बावजूद फिल्म अब तक अच्छी कमाई कर रही थी. फिल्म हर दिन करोड़ों का कारोबार कर रही थी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि ‘सैम बहादुर’ की रफ्तार बॉक्स ऑफिस पर थमने लगी और इसकी कमाई घट रही है.

‘सैम बहादुर’ ने अपने 17 दिनों के कलेक्शन के साथ दुनियाभर में 100 करोड़ के क्लब में एंट्री ले ली है. सैकनिल्क की रिपोर्ट की मानें तो घरेलू बॉक्स ऑफिस पर भी ‘सैम बहादुर’ ने 17वें दिन 5.25 करोड़ रुपए का बिजनेस किया था. वहीं अब 18वें दिन के शुरुआती आंकड़े सामने आ गए हैं जिसके मुताबिक ‘सैम बहादुर’ ने अब तक 1.65 करोड़ की कमाई की है. यह फिल्म का अब तक का सबसे कम कलेक्शन है.

‘सैम बहादुर’ का डे-वाइज कलेक्शन






















Day 1  ₹ 6.25 करोड़
Day 2  ₹ 9 करोड़
Day 3  ₹ 10.3 करोड़
Day 4  ₹ 3.5 करोड़
Day 5  ₹ 3.5 करोड़  
Day 6 ₹ 3.25 करोड़ 
Day 7 ₹ 3 करोड़
Day 8 ₹ 3.5 करोड़
Day 9 ₹ 6.75 करोड़
Day 10 ₹ 7.5 करोड़
Day 11 ₹ 2.15 करोड़
Day 12 ₹ 2.45 करोड़
Day 13 ₹ 2 करोड़
Day 14
₹ 1.65 करोड़
Day 15 ₹ 2.25 करोड़
Day 16 ₹ 4.5 करोड़
Day 17 ₹ 5.25 करोड़
Day 18 ₹ 1.65 करोड़ (शुरुआती आंकड़े)
कुल ₹ 78.25 करोड़

सैम मानेकशॉ के किरदार में नजर आए विक्की कौशल
‘सैम बहादुर’ को मेघना गुलजार ने डायरेक्ट किया है. इससे पहले फिल्म ‘राजी’ में भी विक्की कौशल और मेघना गुलजार ने एक साथ काम किया था. ‘सैम बहादुर’ भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की लाइफ पर बेस्ड फिल्म है जिसमें विक्की कौशल ने सैम मानेकशॉ का किरदार निभाया है.


विक्की कौशल के साथ सान्या मल्होत्रा की केमिस्ट्री दिखाई दी है. वहीं फातिमा सना शेख ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका निभाई है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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